Anurag Asati Classes

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प्रश्न बैंक हल कक्षा 11- रसायन शास्त्र हल सत्र-2021-22 इकाई 1 से 3 तक।

 प्रश्न बैंक कक्षा 11- रसायन शास्त्र

सत्र-2021-22



रसायन शास्त्र प्रश्न बैंक हल 11

इकाई - 1
रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएं

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

1. सीमान्त अभिकारक क्या है ? 

Ans=वे अभिकारक (अभिकर्मक) जो अभिक्रिया में प्रस्तुत हो जाते हैं तथा उत्पाद की मात्रा को सीमित करते हैं,

सौमांत अभिकर्मक कहलाते हैं तथा ऐसे अभिकारक जो पूर्णतः प्रस्तुत नहीं होते हैं, बहु-मात्रा अभिकर्मक कहलाते

2. हवा को हमेशा समांगी मिश्रण क्यों नहीं मानते ?

Ans-वायु समांगी नहीं है क्योंकि वायु विभिन्न गैसों को स्पष्ट विस्तार में रखती है, अनिवार्य रूप से नाइट्रोजन

और ऑक्सीजन से युक्त होती है और बाद में एक समरूप मिश्रण को फ्रेम करती है। वैसे भी, वायु प्रदूषण की

घटनाएँ इसके संगठन को प्रभावित करती हैं और इसे वास्तव में एक समरूप मिश्रण के रूप में नहीं जाना जा

सकता है।

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3. यौगिक के मूलानुपाती सूत्र को परिभाषित कीजिए।

Ans- रसायन विज्ञान में किसी यौगिक का आनुभविक सूत्र (प्रयोगाधारित सूत्र / मूलानुपाती सूत्र / empirical

formula) वह सूत्र है जो बताता है कि उस यौगिक के अणु में कौन-कौन से परमाणु हैं तथा उन परमाणुओं की

संख्या का सरलतम अनुपात क्या है। उदाहरण के लिये हॅक्सेन का प्रयोगाधारित सूत्र C3H7 है जबकि उसका

अणुसूत्र C6H14 है।


4. विलयन की मोलरता पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ?

Ans-ताप का विलयन की मोललता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परन्तु मोलरता में परिवर्तन होता है। ताप बढ़ाने से

मोलरता का मान घटता है।

5. परमाणु द्रव्यमान की मानक इकाई क्या है ?

Ans-परमाणु द्रव्यमान का मात्रक amu होता है अर्थात इसे amu में मापा जाता है। किसी भी परमाणु का द्रव्यमान

का मान प्रोटोन और न्यूट्रॉन पर निर्भर करता है। किसी भी पदार्थ की मूलभूत इकाई को परमाणु कहते हैं और

प्रत्येक परमाणु प्रोटोन न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान से मिलकर बना होता है।


6. ज्यादातर तत्वों का परमाणु भार प्रभाज में क्यों होता है ?

Ansचूँकि किसी तत्व के एक परमाणु का द्रव्यमान उस तत्व में उपस्थित सभी प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले

समस्थानिकों के औसत द्रव्यमान के बराबर होता है। अतः अधिकतर तत्वों के परमाणु द्रव्यमान पूर्णांक न होकर

भिन्नांक होते हैं

7. तत्व का 1 ग्राम परमाणु क्या है ?

Ans-यानी सारी गैसों का ग्राम अणु 22.4 लीटर होता है। अर्थात् 1 ग्राम अणु या 1 ग्राम परमाणु में गैसों के

अणुओं/परमाणुओं की संख्या बराबर होती है।

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8. किस प्रकार हम सिद्ध करेंगे कि हवा मिश्रण है, यौगिक नहीं ?

Ans- सन् 1674 में मायो ने यह सिद्ध किया कि वायु तत्त्व नहीं है वरन् दो पदार्थों का मिश्रण है जिनमें एक सक्रिय

है व दूसरा निष्क्रिय ... वायु में ऑक्सीजन व नाइट्रोजन का अनुपात आयतन के अनुसार लगभग 1:4 है। वायु

गैसों का एक मिश्रण है।

9. मोल संकल्पना क्या है ?

Ans-मोल एक संख्या है जिसका मान 6.022×1023 होता है... यह सूक्ष्म कर्णो, जैसे- परमाणु, अणु, आयन

आदि की संख्या को प्रदर्शित करने की एक इकाई है।


10. मोल और आवोगादो संख्या से आप क्या समझते हो?

Ans-रसायन विज्ञान और भौतिकी में मोल पदार्थ में अणुओं या परमाणुओं की कुल संख्या को आवोगादो

नियतांक (प्रतीक L, NA) कहते हैं। एस आई इकाई में इसका मान 6.02214076x10 mol-1 होता है। पहले

'अवोगाद्रो नियतांक' के जगह पर आवोगाद्रो संख्या का प्रयोग किया जाता था, किन्तु अब उसे छोड़ दिया गया है।


11. किसी पदार्थ के अणुसूत्र और मूलानुपाती सूत्र में क्या सम्बन्ध होता है ?

Ans-मूलानुपाती सूत्र एक यौगिक में परमाणुओं का सबसे सरल पूर्ण संख्या अनुपात दिखाते हैं, अणुसूत्र एक अणु

में प्रत्येक प्रकार के परमाणु की संख्या दिखाते हैं, और संरचनात्मक सूत्र बताते हैं कि एक अणु में परमाणु एक दूसरे

से कैसे बंधे हैं।

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12. Na2CO3 (अणुभार 106 ग्राम) का 500ml M/10 विलयन बनाने के लिए इसकी कितनी मात्रा आवश्यक होगी?

Ans- 10.6x1000106x500=0.2M


13. स्टॉक विलयन क्या है?

Ans- एक स्टॉक विलयन को एक सांद्र के रूप में परिभाषित करते हैं. अर्थात, वास्तविक उपयोग के लिए कुछ कम सांद्रता में पतला होने वाला विलयन Explanation: स्टॉक विलयन एक मानकीकृत सांद्रता पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड या सोडियम हाइड्रॉक्साइड जैसे सामान्य अभिकर्मक की एक बड़ी मात्रा

14. मेथेन के दहन में मेथेन को सीमांत अभिकर्मक क्यों मानते हैं?

Ans- उपर्युक्त अभिक्रिया में H2 के दो मोल (अणु) के पूर्ण दहन के लिए केवल 02 के 1 मोल की आवश्यकता है।

अतः H2O सीमांत अभिकर्मक है, क्योंकि H2 की प्रयुक्त मात्रा ही उत्पाद की मात्रा निर्धारित करती है।


इकाई 2 -परमाणु संरचना

03अंक वाले प्रश्नः


1. एक ग्राम भार में इलेक्ट्रॉनों की संख्या का परिकलन कीजिए

ans - एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1094 x 10 31kg 9.1094×10^-28. एक ग्राम भार में इलेक्ट्रॉनों की

संख्या 1 /9.1094×10^-28 1.098 x 10^27

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2. नीचे दिए गए परमाणु द्रव्यमान (A) और परमाणु संख्या (Z) वाले परमाणुओं का पूर्ण प्रतीक लिखिए (1) Z =

17, A 35. (ii) Z = 92, A= 233 (iii) Z= 4, A= 9.


उत्तर - (1) CL, 

(ii)U, 

(iii) Be

3. ऐसा प्रकाश, जिसकी तरंग दैर्ध्य 4000 pm हो और जो 1J ऊर्जा दे, के फोटॉनों की संख्या बताइए।



4. यदि 4x10 m तरंग दैर्घ्य वाला एक फोटॉन 2.13 ev कार्यफलन वाली धातु की सतह से टकराता है, तो (i) फोटॉन की ऊर्जा (ev में) (ii) उत्सर्जन की गतिज ऊर्जा और(i) प्रकाशीय इलेक्ट्रॉन के वेग का परिकलन कीजिए (1 eV= 1.6020x10-19J)

5. सोडियम परमाणु के आयनन के लिए 242nm तरंग दैर्ध्य की विद्युत् चुंबकीय विकिरण पर्याप्त होती है। सोडियम की आयनन ऊर्जा kJ mol-1 में ज्ञात कीजिए। 

Ans प्रति परमाणु सोडियम की आयनन ऊर्जा = प्रयुक्त

प्रकाश की ऊर्जा

hc= λ


6.626 x 10-34 x 3 x 108 242 x 10-9 .(λ =242nm = 242 x 10-9m)


= 8.214 × 10 - 19 J atom - 1


... प्रति मोल सोडियम की आयनन ऊर्जा = 8.214x 10 - 19 x 6.022 x 1023

= 4.964 × 105 Jmol - 1

= 494.6 kJ mol-1


6. पाउली सिद्धान्त मै अपवर्जन (Exclusion) शब्द का उपयोग क्यों होता है?

Ans पाउली का अपवर्जन का नियम (Paul exclusion prinople) नवाण्टम यांत्रिकी का एक सिद्धान्त है जिसे स १९२५ मै तुल्फगांग पाउली ने प्रतिपादित किया था। (अपवर्जन का अर्थ होता है छोड़ना, अलग नियम लागू होना आदि) कोई भी दो समान फॉर्मजोन (lermions), एक ही समय में एक समान प्रमावा स्थिति (quanturm state) में नहीं रह सकते।"


7. हुण्ड नियम को अधिकतम बहुलता का नियम क्यों कहते हैं?

Ans - जब कोई कक्षक पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ हो या पूर्ण रूप से पूरा भरा हुआ हो तो यह कक्षक तुलनात्मक रूप से अधिक स्थायी होता है। अतः हुण्ड के नियमानुसार किसी भी कक्षक के सभी उपकक्षकों में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरने के बाद ही उनका युग्मन बनना शुरू होता है। हुण्ड के इस नियम को अधिकतम बहुलकता का नियम भी कहते है।


8. (1) 25 कक्षक एवं (01) 4 कक्षक के इलेक्ट्रॉन के लिए कोणीय संवेग क्या होगा?

Ans - जब कोई कक्षक पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ हो या पूर्ण रूप से पूरा भरा हुआ हो तो यह कक्षक तुलनात्मक रूप से अधिक स्थायी होता है। अत: हुण्ड के नियमानुसार किसी भी कक्षक के सभी उपकक्षकों में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरने के बाद ही उनका युग्मन बनना शुरू होता है। हुण्ड के इस नियम को अधिकतम बहुलकता का नियम भी कहते है।

9. यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन गतिशील हो, इनसे संलग्न तरंगदैर्ध्य समान हो, तब इनमें से कौन अधिक तेजी से गति करेगा और क्यों?

Ans- इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के लिए, h और स्थिरांक हैं। इसलिए, meve=mpvporvevp=mp/me. चूँकि प्रोटॉन का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से अधिक होता है, इलेक्ट्रॉन का वेग अधिक होगा। इसलिए, इलेक्ट्रॉन 0 प्रोटॉन की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रहा होगा।


10 कॉपर (1) प्रति चुम्बकीय है जबकि कॉपर (II) अनुचुम्बकीय है, कारण दीजिए।

 Ans -1 प्रतिचुम्बकीय पदार्थ वे हैं जिनमें बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र के उल्टी दिशा में चुम्बकीय क्षेत्र प्रेरित होता है। ये पदार्थ वाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा प्रतिकर्षित (रिपेल) किये जाते हैं। अर्थात इनका व्यवहार अनुचुम्बकीय पदार्थों के चुम्बकीय व्यवहार के उल्टा होता है।

-2 अनुचुम्बकत्व (Paramagnetism) पदार्थों का वह गुण है जिसमें पदार्थ बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में ही चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। ये पदार्थ वाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित किये जाते है। इनका व्यवहार प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के चुम्बकीय व्यवहार के ठीक उल्टा होता है। अधिकांश रासायनिक तत्व और कुछ रासायनिक यौगिक अनुचुम्बकीय पदार्थ हैं।


11. CO2, एवं N20 अणु समान वेग से गति करते हैं। इनकी तरंगदैर्ध्य का अनुपात क्या होगा ? 

Ans- dN2dCO2= MN2MCO2=2844 अलथ dN2<dCO2 कुल स्थानांतरण गतिज ऊर्जा भी समान होगी क्योंकि समान दाब और ताप पर समान आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या सामान होगी एवोगेड्रो नियम के अनुसार)


12. पाउली का अपवर्जन सिद्धान्त उदाहरण के साथ समझाइये

 Ans इस सिद्धान्त के अनुसार समान अवस्था वाले अथवा समान गुणधर्म वाले दो कण (जिनके प्रचक्रण, कलर चार्ज, कोणीय संवेग इत्याद समान हो) किसी एक समय में किसी एक स्थान पर नहीं रह सकते है।जो कण इस सिध्दांत का पालन करते हैं, फर्मिऑन कहलाते है, जैसे इलेक्ट्रॉन, प्राणु, न्यूट्रॉन इत्यादि एवं जो कण इस सिध्दांत का पालन नहीं करते हैं, बोसॉन कहलाते है, जैसे: फोटॉन, ग्लुऑन, गेज बोसान।

13 हुण्ड का अधिकतम बहुलता का नियम उदाहरण के साथ समझाइये।

Ans

किसी भी कक्षक (ऑर्बिटल) के उपकक्षक में इलेक्ट्रॉन पहले एक एक कर भरते हैं, ततपश्चात ही उसका जोड़ा

बनना प्रारम्भ होता है। पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ था पूरा भरा हुआ ऑविंदल पूर्ण रूप से आधे भरे हुए या पूरा भरे

हुए ऑर्बिटल से अधिक स्थाई होता है।


14 पदार्थ की वैती प्रकृति क्या है? इससे सम्बन्धित डी-बांग्ली समीकरण लिखिए।

Ans डी बोग्ली के अनुसार, प्रकाश में कण तथा तरंग दोनों की प्रकृति होती है। अर्थात् प्रकाश कुछ परिस्थितियों में कण

तथा कुछ परिस्थितियों में तरंग की भांति व्यवहार करता है। जिसे वेती प्रकृति कहते हैं।


15 प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या है?

Ans(1) प्रत्येक धातु की सतह पर धातु के संगत एक न्यूनतम आवृति (देहली आवृति) के विकिरण आपतित होने पर

ही फोटो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। उससे कम आवृति के विकिरण से कभी नहीं चाहे आपतित प्रकाश की

तीव्रता कितनी ही हो। (2) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा आपतित विकिरण की आवृत्ति के

अनुक्रमानुपाती होती है

16 हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त क्या है? इसका गणितीय रूप लिखिए।

Ans-हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत क्या है, heisenberg uncertainty pinciple in hindi. यदि

कण की स्थिति में अनिश्चितता को कम किया जाए तो सवैग की अनिश्चितता बढ़ जाती है क्योंकि दोनों के

गुणनफल का मान h14n के बराबर होता है।

17 अर्धपूर्ण और पूर्ण भरे उपकोश अन्य इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था से अधिक स्थायी होते हैं क्यों? समझाइये।

Ans किसी स्थायी इलेक्ट्रॉन विन्यास की ऊर्जा न्यूनतम (minimum) होती है। समान कक्षकों में उपस्थिति इलेक्ट्रॉनों की

अपेक्षा भिन्न भिन्न कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के बीच अंत इलेक्ट्रोनिक प्रतिकर्षण कम होता है तथा भिन्न-भिन्न

कक्षकों में विपरीत स्थिन वाले इलेक्ट्रॉनों के बीच अन्तः प्रतिकर्षण और भी कम हो जाता है। जिसमे ऊर्जा स्तर (lower

energy level) प्राप्त होता है।


18 आफबाऊ सिद्धांत क्या है?

Ans आफबाऊ' (Aufbau) एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ है- 'एक-एक कर जौड़ना'। इस सिद्धान्त के अनुसार, किसी कक्षा (shell) तथा उपकक्षा (orbital) में इलेक्ट्रॉनों का प्रवेश ऊर्जा स्तरों के बढ़ते ऊर्जा के क्रम में एक-एक कर होता है।


19.n+1| नियम उदाहरण के साथ समझाइये।

Ans इस सिद्धान्त के अनुसार, किसी कक्षा (shell) तथा उपकक्षा (orbital) में इलेक्ट्रॉनों का प्रवेश ऊर्जा स्तरों के बढ़ते ऊर्जा के क्रम में एक-एक कर होता है।

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20. क्वाटीकरण क्या है?

Ans  भौतिकी में क्वांटीकरण भौतिकीय घटनाओं की चिरसम्मत समझ को नये रूप से जिसे क्वांटम यांत्रिकी कहते हैं के रूप में व्यक्त करने की प्रक्रिया है। यह चिरसम्मत क्षेत्र सिद्धान्त को क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त निर्माण की प्रक्रिया है। इसका मतलब यह है कि परिमाण केवल कुछ विविक्त मान प्राप्त कर सकता है।


इकाई -3 तत्वीं का वर्गीकरण और गुणधर्मों में आवर्तिता

2. अंक वाले प्रश्न

1 आवर्त और वर्ग के पदों में यह बताइए कि Z-14 कहाँ स्थित होगा? उस तत्व का परमाणु क्रमांक लिखिए, जो आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त और 17वें वर्ग में स्थित होता है।

Ans-14 वाला तत्व तीसरे आवर्त और 14वें वर्ग में स्थित होगा उस तत्व का परमाणु क्रमांक लिखिए जो आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त और 17 वे वर्ग में स्थित होता है। उत्तर इस तत्व का परमाणु क्रमांक (2)17 है। 

2. एक ही वर्ग में उपस्थित तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म समान क्यों होते हैं?

Ans- एक वर्ग के सभी तत्वों के समान रासायनिक और भौतिक गुण-धर्म होते हैं क्योंकि उनके बाहरी इलेक्ट्रॉनी की संख्या समान होती है। समान आवर्त के तत्वों की इलेक्ट्रॉन कक्षाओं की संख्या समान होती है। 

3. किसी वर्ग या आवर्त में परमाणु विज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है? इस परिवर्तन की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे? 

Ans- किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर परमाणु विज्याएँ नियमित क्रम में शार धातु से हैलोजेन तक घटती है, क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ने के साथ-साथ बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी बढ़ती है, फलस्वरूप बायतम कोश के इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की क्षमता भी बढ़ती है।

4 धनायन अपने जनक परमाणुओं से छोटे क्यों होते हैं और ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की बिज्या से अधिक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।

 Ans- किसी परमाणु के द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने पर धनायन बनता है जिससे उसकी बाहा कक्षा से इलेक्ट्रॉन निकाल जाने पर वह परमाणु छोटा हो जाता है. क्योंकि उसके बाह्यतम कक्षक के इलेक्ट्रॉनों का नामिक के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है। फलस्वरूप उसकी आयनिक त्रिज्या घट जाती है। इसलिये ऋणायनी की त्रिज्या उनके जनक परमाणु से अधिक होती है।


5. आयनन एन्पैल्पी और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्यैल्पी को परिभाषित करने में विलगित गैसीय परमाणु तथा आध्य अवस्था पदों की सार्थकता क्या है?

Ans - आयनन एन्पैल्पी और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्यैल्पी को परिभाषित करने में विलगित गैसीय परमाणु तथा आप अवस्था' पदों की सार्थकता क्या है? अर्थात आयनन एन्यैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्यैल्पी के मान अन्य परमाणुओं की उपस्थिति में प्रभावित नहीं होते। परन्तु जब परमाणु ठोस या द्रव अवस्था में हो तो इनको व्यक्त करना कठिन हो जाता है।

6. आप इस तथ्य की व्याख्या किस प्रकार करेंगे कि सोडियम की प्रथम आयनन एन्यैल्पी मैग्नीशियम की प्रथम आयनन एन्यैल्पी से कम है, किंतु इसकी दद्वितीय आयनन एन्यैल्पी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एज्यैल्पी से अधिक है।

Ans चूंकि Na- परमाणु मे Mg- परमाणु की अपेक्षा कम प्रभावी नाभिकीय आवेश है. इसलिये Na की प्रथम आयनन एन्पैल्पी Mg की अपेक्षा कम है। एक इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात Na+ आयन (152,2522p6) में प्रभावी नाभिकीय आवेश अधिक हो जाता है तथा एक स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेता है।


7. आप क्या सोचते हैं कि की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एयैल्पी प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्पैल्पी के समान या धनात्मक अधिक ऋणात्मक या कम ऋणात्मक होगी? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। उत्तर की पुष्टि कीजिए।

 Ans-द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्यैल्पी का मान सदैव धनात्मक होता है। क्योंकि ऋणायन और इलेक्ट्रॉन के मध्य प्रतिकर्षण को दूर करने के लिए बाहर से ऊर्जा देनी पड़ती है। कृणात्मक चिन्ह ऊर्जा का निर्गमन बताता है जबकि पनात्मक चिन्ह ऊर्जा का शोषण अतः की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्यैल्पी पनात्मक होगी।

8. इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्पैल्पी और इलेक्ट्रॉन ऋणात्मकता में क्या मूल अंतर है?

Ans-इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्पैल्पी, किसी उदासीन विलगित गैसीय परमाणु की बाहा कक्षा में एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति को बताती है। जबकि इलेक्ट्रॉन ऋणात्मकता परमाणु द्वारा किसी सहसंयोजक यौगिक में साझा किये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता को बताती है।

9. N की विद्युत् ऋणात्मकता पाऊलिंग पैमाने पर 3.0 है। सभी नाइट्रोजन यौगिक क्या यह 3.0 ही रहेगी? आप इस कथन पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देंगे?

Ans यह कथन विवादास्पद है क्योंकि एक परमाणु की विद्युत ऋणात्मकता उसके सभी यौगिकों में स्थिर नहीं होती है। यह संकरण अवस्था तथा ऑक्सीकरण अवस्था के साथ बदलती है। उदाहरण के लिए, NO2 तथा NO में N की विदयुत ऋणात्मकता, ऑक्सीकरण अवस्थाओं में भिन्नता के कारण, भिन्न होती है।


10. किसी तत्व के दो समस्थानिकों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी समान होगी या भिन्न? आप क्या मानते हैं? 

Ans-एक तत्व के समस्थानिकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या परमाणु नाभिकीय आवेश तथा आकार समान होता है। इसलिए इनकी प्रथम आयनन एन्यैल्पी के मान समान होते हैं।


11. Be तथा Mg की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एन्थैल्पी लगभग शून्य क्यों होती है ? 

उत्तर: Na का प्रभावी नाभिकीय आवेश Mg से कम होता है। अतः Na की प्रथम आयनन एन्यैल्पी का मान Mg से कम होता है किन्तु एक इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात् Na+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अक्रिय गैस का विन्यास हो जाता है। अत: Na की द्वितीय आयनन एन्यैल्पी का मान Mg की द्वितीय आयनन एन्यैल्पी से ज्यादा होता है।


12. N की आयनन की एन्यैल्पी 0 से ज्यादा होती है। क्यों ?

Ans-नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [He] 2s 2sp3 होता है. p कक्षक अर्धपूरित अवस्था में होने के कारण यह अधिक स्थायी होता है. इसमें से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं अतः नाइट्रोजन की आयनन एन्यैल्पी अधिक होती है।


13. प्रभावी नाभिकीय आवेश और नाभिकीय आवेश में अंतर स्पष्ट कीजिये।

 उतर - परमाणु में बाहयतम कोष के इलेक्ट्रान पर नाभिक के द्वारा जो आकर्षण बल महसूस किया जाता है उसे प्रभावी नामिकोय आवेष कहते हैं। प्रभावी नाभिकीय आवेश हमेशा वास्तविक नाभिकीय आवेश से कम होता है। क्योंकि बाह्यतम कोष में उपस्थित इलेक्ट्रानों के परस्पर प्रतिकर्षण बल से कुछ मात्रा मे नाभिकीय आकर्षण बल संतुलित हो जाता है।

14. परिरक्षण प्रभाव क्या है?

Ans-स्क्रीनिंग प्रभाव को परिरक्षण प्रभाव के रूप में भी जाना जाता है। यह आंतरिक शेल इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण परमाणु नामिक और सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉनों के बीच आकर्षण में कमी का प्रभाव है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आंतरिक शेल इलेक्ट्रॉन परमाणु नामिक को ढाल देते हैं।






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