कबीर दास का जीवन परिचय हिन्दी PDF Download / कबीर दास की प्रमुख रचनाएं || Kavi Parichay Kabir Das, Kabir Jivan Parichay
कबीर दास का जीवन परिचय हिन्दी PDF Download / कबीर दास की प्रमुख रचनाएं || Kavi Parichay Kabir Das, Kabir Jivan Parichay
(1.) आकृतिम भाषा :- कबीर की भाषा अपरिष्कृत है । उसमें कृतिमता का अंश भी नहीं है । स्थानी बोलचाल के शब्दों की प्रधानता दिखाई देती है । उसमें पंजाबी, राजस्थानी, उर्दू, फारसी, आदि भाषाओं के शब्दों का विकृत रूप प्रयोग किया गया है । इससे भाषा में विविध चित्र आ गई है कबीर की भाषा में भाव प्रकट करने में समर्थ विद्यमान है । इसकी भाषा में पंचमेल खिचड़ी अथवा शुद्ध कड़ी भी कहा जाता है ||
(2.) सहज शैली :- कबीर ने सहज सरल व सरस शैली में अपने उपदेश दिए हैं ! भाव प्रकट करने के दृष्टि से कबीर की भाषा पूर्णता: सक्षम है । कब में विरोधाभास दुर्बलता एवं व्यंगात्मकता विद्यमान है ।।
(3.) अलंकार :- कबीर के काव्य में स्वभावत: तथा अलंकारिकता आ गई है । उपमा, रूपक संगरूपक, अन्योक्ति, उत्प्रेक्षा, विरोधाभास आदि अलंकारों की प्रचुरता है ||
(4.) छंद :- कबीर के साखियो में दोहा छंद का प्रयोग हुआ है । सबद पद है तथा रमैनी चौपाई छंद दो से मिलते हैं " कहरवा "छंद में उनकी रचनाएं में मिलता है। इन शब्दों का प्रयोग संदेश का है ||
🔵साहित्य में स्थान :-
कबीर समाज सुधारक एवं युग निर्माता के रूप में सदैव संस्मरण किए जाएंगे । उनके काव्य में निहित संदेश और उपदेश के आधार पर नवीन संभावित समाज की संरचना संभव है ।। डॉक्टर द्वारका प्रसाद सक्सेना ने लिखा है:- " कबीर एक उच्च कोटि के साधक, सत्य के उपासक और ज्ञान के अन्वेषक थे ! उनका समस्त सहित एवं जीवन मुक्त संत गुण एवं गंभीर अनुभवों का भंडार है "
Writer:- Anurag Asati
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