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बात सीधी थी पर और कविता के बहाने के प्रश्न उत्तर कक्षा 12

 

बात सीधी थी पर और कविता के बहाने के प्रश्न उत्तर कक्षा 12



Kavita Ke Bahane Baat Sidhi Thi Par Class 12 Question Answer ,

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Kavita Ke Bahane Baat Sidhi Thi Par Class 12 Question Answer

कविता के बहाने के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1.

इस कविता के बहाने बताएँ कि “सब घर एक कर देने के माने” क्या है ?

उत्तर-

बच्चे खेलते समय अपने-पराए , तेरा-मेरा जैसे सभी प्रकार के भेदभावों को भूलकर और सभी घरों को अपना समझ कर प्रेम पूर्वक चले जाते हैं। इस तरह वो सभी घरों को एक कर देते हैं। ठीक उसी प्रकार कविता भी बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग के श्रोता को समान रूप से प्रभावित करती हैं। 

प्रश्न 2.

“उड़ने” और “खिलने” का कविता से क्या संबंध बनता है ?

उत्तर-

“उड़ने” और “खिलने” का कविता से गहरा संबंध है।  चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी तरह कविता कवि की कल्पनाओं के पंख लगाकर बहुत ऊंची उड़ान भरती है और फूलों की तरह खिलती और महकती है।

फर्क सिर्फ इतना हैं कि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है और फूल के खिलने की भी एक निश्चित सीमा होती हैं। लेकिन कविता बिना मुरझाये सदैव खिलती रहती हैं।  लोगों को अपने भावों से प्रभावित करती रहती हैं। क्योंकि एक अच्छी कविता का प्रभाव चिर स्थाई होता है। 

प्रश्न 3.

“कविता” और “बच्चे” को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं ?

उत्तर-

जिस प्रकार बच्चे खेलते समय अपने-पराए का भेद भूल कर किसी भी घर में चले जाते हैं। यानि उस वक्त उनके मन में मेरा-तेरा , अपना -पराया का कोई भेद नहीं रहता है। वो सभी घरों में एक समान भाव से प्रेमपूर्वक चले जाते हैं। 

ठीक उसी प्रकार कविता भी किसी प्रकार की सीमाओं को नहीं जानती है। वह भी सभी को अपने भावों से सामान रूप से प्रभावित करती हैं।

इसीलिए कवि बच्चों और कविता की तुलना कर , दोनों को एक समान बताते हैं। क्योंकि दोनों की कल्पनायें असीमित होती हैं और दोनों ही अपने-पराये का भेद नही जानते हैं। 


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प्रश्न 4.

कविता के संदर्भ में “बिना मुरझाए महकने” के माने क्या होते हैं ?

उत्तर-

फूल खिलने के एक निश्चित समय बाद मुरझा जाते हैं। लेकिन कविता अपने भावों के कारण  हमेशा खिली रहती है। उसमें हमेशा एक ताजगी बनी रहती हैं। क्योंकि एक अच्छी कविता का भाव चिर स्थाई होता है जो सदैव लोगों को प्रभावित करता रहता हैं। इसीलिए वह बिना मुरझाये सदैव खिली रहती हैं। 

प्रश्न 5.

“भाषा को सहूलियत” से बरतने का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर-

“भाषा को सहूलियत से बरतने” का अर्थ है कि कवि को कविता की रचना करते वक्त कविता में सहज , सरल व व्यावहारिक भाषा का प्रयोग करना चाहिए। ताकि कविता का भाव व उद्देश्य लोगों की समझ में आसानी से आ सके। 

प्रश्न 6.

बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं। किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। कैसे ?

उत्तर-

भाषा कविता के भावों को प्रकट करने का माध्यम है। लेकिन जब कवि द्वारा कविता में चमत्कारिक व बनावटी भाषा का प्रयोग किया जाता हैं तो कविता बाहर से दिखने में तो बहुत सुंदर लगती हैं मगर उसके भाव स्पष्ट न होने के कारण वह लोगों की समझ में नहीं आ पाती हैं।

यानि कठिन शब्दों के प्रयोग से , जिस उद्देश्य से कविता को लिखा जाता हैं वह अपने उस उद्देश्य में सफल नहीं हो पाती हैं। 

प्रश्न 7.

बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिम्बों व मुहावरों से मिलान करें। 

उत्तर –

बिम्ब व मुहावरे                            

(क) बात की चूड़ी मर जाना। 

विशेषता  –  बात में कसावट का ना होना। 

(ख) बात की पैंच खोलना। 

विशेषता  – बात को सहरज और स्पष्ट करना। 

(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना। 

विशेषता  – बात का पकड़ में ना आना। 

(घ) पैंच को कील की तरह ठोक देना। 

विशेषता  – बात का प्रभावहीन हो जाना।  

(ड) बात का बन जाना। 

विशेषता  – कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनाना। 

 प्रश्न 8.

बात से जुड़े कई मुहावरे प्रचलित हैं। कुछ मुहावरों का प्रयोग करते हुए लिखें।

उत्तर-

  1. बातें बनाना  –  ज्यादा बातें न बनाओ। सीधा सीधा अपना काम करो।
  2. बात का बतंगड़ बनाना – तुमने तो छोटी सी बात का बतंगड़ ही बना दिया ।
  3. बात बढ़ाना – व्यर्थ में बात बढ़ाने से क्या लाभ होगा। बेहतर हैं दोनों ही इस बात को यही समाप्त करो। 
  4. बात का धनी होना – अगर रमेश ने कहा हैं कि वह मदद करेगा , तो वह अवश्य ही करेगा क्योंकि वह अपने बात का बढ़ा धनी हैं। 

प्रश्न 9.

व्याख्या करें ?

“ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई।
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी”।

उत्तर-
कविता के भावों को समझे बिना जब कवि कविता में चमत्कारिक व बनावटी भाषा का प्रयोग करने लगा तो कविता बाहरी रूप से सुंदर दिखने लगी लेकिन बनावटी भाषा के प्रयोग से कविता के भाव स्पष्ट नहीं हुए जिससे कविता एकदम प्रभावहीन व उद्देश्यहीन हो गई और वह शब्दों का एक समूह मात्र बनकर रह गई। 


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