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Kale Megha Pani De Class 12 Question Answer | Question Answer Of Kale Megha Pani De Class 12 Hindi Aaroh 2 , NCERT Solution Of Kale Megha Pani De Class 12 , काले मेघा पानी दे कक्षा 12 के प्रश्न उत्तर हिन्दी आरोह 2

 Kale Megha Pani De Class 12 Question Answer | Question Answer Of Kale Megha Pani De Class 12 Hindi Aaroh 2 , NCERT Solution Of Kale Megha Pani De Class 12 , काले मेघा पानी दे कक्षा 12 के प्रश्न उत्तर हिन्दी आरोह 2 



Kale Megha Pani De Class 12 Question Answer

काले मेघा पानी दे के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1.

लोगों ने लड़कों की टोली की “मेढक मंडली” नाम किस आधार पर दिया ? यह टोली अपने आपको “इंदर सेना” कहकर क्यों बुलाती थी ?

उत्तर-

कुछ लोग लड़कों की टोली पर पानी का फेंका जाना व पानी फेंकने के बाद गलियों में होने वाले कीचड़ को पसंद नहीं करते थे। वो इसे पानी की बर्बादी और इस परम्परा को अन्धविश्वास मानते थे। इसीलिए वो उन्हें “मेढक मंडली” कहते थे। 

लेकिन बच्चों की टोली अपने आप को इंद्रसेना कहती थी क्योंकि वो मानते थे कि वो यह सब  इसलिए कर रहे हैं ताकि भगवान इंद्र खुश होकर जल बरसा दें । जिससे प्यासों की प्यास बुझे और चारों ओर हरियाली छाये।

प्रश्न 2.

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया ? 

उत्तर-

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को निम्न कारण देकर सही ठहराया। 

कहानी के आधार पर लेखक वैज्ञानिक तत्थों को महत्व देते थे। इसीलिए वो मेंढक मंडली पर पानी फेंके जाने को पानी की बर्बादी और इंद्रसेना के इस कार्यक्रम को एक अंधविश्वास मानते थे।

लेकिन लेखक की जीजी समाज में प्रचलित लोक विश्वासों को मानती थी और वो उसे अपनी तर्कशक्ति से सही भी ठहरा देती थी। वो कहती थी कि इंद्रसेना पर पानी फेंका जाना कोई गलत बात नहीं है। यह कतई पानी की बर्बादी नहीं है। यह ठीक वैसा ही हैं जैसे हम फसल उगाने के लिए पहले खेतों में बीज बोते हैं।

और साथ ही साथ वो यह भी कहती थी कि दान देना तब सबसे अच्छा होता हैं जब हमारे पास कोई वस्तु कम हो और फिर भी हम उस वस्तु का दान कर रहे हैं। उस दान का फल ज्यादा मिलता हैं।


जीजी के अनुसार इंद्र सेना पर पानी फेंका जाना , इंद्र देव को अर्घ्य देने के समान है। और जब हम उन्हें पानी को बीज के रूप चढ़ाएंगे (अर्घ्य देंगे) तब तो इंद्रदेव बर्षा करेंगे।

प्रश्न 3.

“पानी दे , गुड़धानी दे” ,  मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है ?

उत्तर-

खेलगीत में “गुड़धानी” शब्द अनाज , खुशहाली और प्रसन्नता के लिए प्रयोग किया गया हैं।  “गुड़धानी” को गेहूँ या चने के आटे को भून कर उसमें गुड़ मिलाकर बनाया जाता है।

गेहूँ या चने की फसल को उगाने के लिए पानी की जरूरत पड़ती हैं। और जब बारिश का पानी खेतों को मिलेगा तभी खेतों में गेहूं या चने के बीच पनपेंगे और फसल लहलहा उठेगी। जिससे चारों तरफ खुशहाली छा जाएगी।  इसीलिए इंद्र सेना मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करती रही है। 


प्रश्न 4.

“गगरी फूटी , बैल प्यासा” ,  इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है ?

उत्तर-

“गगरी फूटी , बैल प्यासा” ,  इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि जब बारिश नहीं होगी तो नदी , जलाशय , तालाब , गगरी आदि पानी से नहीं भर पाएंगे। और अगर ये नहीं भर पाएंगे तो जानवरों या बैलों को पीने के लिए पानी नहीं मिल पाएगा और बिना पानी के बैल प्यासे रह जाएंगे।

प्यासे बैल खेतों में जुताई आदि का काम कैसे कर पाएंगे और खेतों में जुताई नहीं होगी तो फसल भी पैदा नहीं हो सकती। और फसल पैदा नहीं होगी तो इंसानी जीवन से भी खुशहाली नष्ट हो जाएगी। यानि पानी , बैल , फसल और खुशहाली , इन सब का आपस में गहरा संबंध है।


प्रश्न 5.

इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है ? नदियों का भारतीय सामाजिक- सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है ?

उत्तर-

भारत में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इसकी पूजा माता के रूप में की जाती है। यह हमारी आस्था व विश्वास से भी जुडी हुई हैं। आज भी भारत में हर शुभ कार्य में गंगाजल का प्रयोग किया जाता है। गंगा हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की पहचान भी हैं। गंगा नदी पानी का अकूत भंडार है जो हर किसी की प्यास बुझाती है। इसीलिए बच्चों की टोली सबसे पहले “गंगा मैया की जय” का जयकारा लगाती थी ।

भारत के सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश में नदियों का विशेष महत्व है। प्राचीन काल से ही भारत में नदियों को पूजनीय माना गया है। लगभग सभी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ।और अपने देश में सभी नदियों के किनारे समृद्ध महानगर बसे हुए हैं।


कुछ पवित्रधाम जैसे बनारस , काशी , हरिद्वार , ऋषिकेश , उज्जैन इन्ही पवित्र नदियों के तट पर ही बसे हैं। विश्व प्रसिद्ध कुम्भ मेला भी गंगा नदी के तट पर ही लगता हैं  जिसमें शामिल होने दुनियाभर के लाखों लोग आते हैं।

हमारे ऋषि-मुनियों ने बड़ी चतुराई से नदियों को हमारे धर्म व संस्कृति से जोड़कर अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया क्योंकि नदियों के संरक्षण व उनके रखरखाव के लिए यह आवश्यक है।

प्रश्न 6.

रिश्तों में हमारी भावना शक्ति बँट जाना , विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

उत्तर-

लेखक सभी लोक प्रचलित विश्वासों , रीति-रिवाजों के तथ्यों को वैज्ञानिक सबूतों के तराजू पर तोलने की कोशिश करते थे। साथ ही लेखक अपनी जीजी से बहुत प्यार भी करते थे। हालांकि लेखक की जीजी जिन रीति-रिवाजों और परंपराओं पर विश्वास करती थी। उसे वो कोरा अंधविश्वास मानते थे। लेकिन फिर भी जीजी के स्नेह के कारण वो सभी रीति-रिवाजों और परंपराओं का निर्वहन करते थे।

धीरे-धीरे जीजी और उनके बीच के मजबूत भावानात्मक रिश्तों में उनकी भावना शक्ति बंटती चली गई और उनकी बुद्धि-विवेक पर जीजी का स्नेह हावी होने लगा। वो उसी स्नेह के कारण ना चाहते हुए भी , उन परंपराओं का निर्वहन करते चले गए जो उनकी जीजी उनसे करने के लिए कहती थी। यहां पर विज्ञान के तर्कों के ऊपर स्नेह की जीत को दिखाया गया है।


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