श्रृंगार रस (Shringar Ras) – श्रृंगार रस की परिभाषा – श्रृंगार रस के प्रकार – एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी व्याकरण
श्रृंगार रस (Shringar Ras) – श्रृंगार रस की परिभाषा – श्रृंगार रस के प्रकार – एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी व्याकरण
श्रृंगार रस – श्रृंगार रस की परिभाषा – श्रृंगार रस के प्रकार – एमपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी व्याकरण – Shringar Ras
इस ब्लॉग पोस्ट में मैंने एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण टॉपिक श्रृंगार रस के बारे में बताया हैं | इसमें श्रृंगार रस की परिभाषा और श्रृंगार रस के प्रकार के बारे में बताया हैं |
श्रृंगार रस/श्रृंगार रस की परिभाषा/श्रृंगार रस किसे कहते हैं?
जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव का संयोग होता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं |
- श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति होता है |
- स्त्री पुरुष के परस्पर प्रेम भाव को रति कहते हैं
श्रृंगार रस के प्रकार –
श्रृंगार रस मुख्यतः दो प्रकार के होती हैं
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
संयोग श्रृंगार/संयोग श्रृंगार रस की परिभाषा –
मिलन की अवस्था में जब नायक एवं नायिका के प्रेम का वर्णन किया जाता है तो उसे संयोग श्रृंगार रस कहते हैं |
संयोग श्रृंगार रस के उदाहरण –
कौन हो तुम वसंत के दूत
वीरस पतझड़ में अति सुकुमार;
घन तिमिर में चपला की रेख
तपन में शीतल मन्द बयार!
वियोग श्रृंगार/वियोग श्रृंगार रस की परिभाषा –
जब नायक और नायिका की मिलन का अभाव रहता है तो उसे वियोग श्रृंगार रस कहते हैं |
वियोग श्रृंगार रस के उदाहरण –
मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्र वाले|
जाके आए न मधुबन से औ न भेजा संदेशा|
मैं रो रो के प्रिय विरह से बावली हो रही हूं|
जा कि मेरी सब दुख कथा श्याम को तू सुना दे||