प्रश्न बैंक 2023 उत्तर सहित कक्षा 12 वींं विषय हिन्दी सॉल्यूशन पीडीएफ डाउनलोड || mp board question bank solution 2023 class 12th hindi || कक्षा 12 वींं विषय हिन्दी प्रश्न बैंक 2023 उत्तर सहित सॉल्यूशन फ्री पीडीएफ डालनलोड | Part 8
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प्रश्न बैंक 2023 हिन्दी सॉल्यूशन
इकाई-2 Part 8
काव्य बोध
(02 अंक)
लघु उत्तरीय प्रश्न -
1. रस की परिभाषा देते हुए उसके भेद लिखिए।
रस : रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।रस को काव्य की आत्मा माना जाता है।
रस के प्रकार,
- श्रृंगार रस
- हास्य रस
- रौद्र रस
- करुण रस
- वीर रस
- अद्भुत रस
- वीभत्स रस
- भयानक रस
- शांत रस
- वात्सल्य रस
2. रस के प्रमुख अंग कौन कौन से हैं?
- (1) स्थायी भाव
- (2) विभाव
- (3) अनुभाव
- (4) संचारी भाव
3. रस निष्पत्ति में सहायक तत्व के नाम लिखिए।
रस निष्पत्ति में सहायक अवयव निम्नलिखित है स्थाई भाव , विभाव , अनुभाव तथा संचारी भाव।
4. स्थाई भाव किसे कहते हैं?
स्थाई भाव का सामान्य अर्थ प्रधान भाव होता है, काव्य में यह भाव शुरू से आख़िर तक होता है। इसे ही रस का आधार माना जाता है।
5. संचारी भाव किसे कहते हैं ?किन्ही दो संचारी भाव के नाम बताइए?
संचारी भाव को व्यभिचारी भाव के नाम से भी जाना जाता है। यह भाव मन में कुछ समय के लिए उत्पन्न होते हैं और संचरण करके फिर चले जाते हैं। आश्रय के चित्त में जो अस्थाई मनोभाव उत्पन्न होते हैं, वे संचारी भाव कहलाते हैं। संचारी भाव के कुल 33 भेद होते हैं।
1. गर्व
2. हर्ष
3. उन्माद
6. करुण रस की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए।
खुले भी न थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल॥
हाय रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगार।
7. वीर रस के लक्षण लिखिए।
1.जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे आई भाव की उत्पत्ति होती है तो उसे वीर रस कहा जाता है |
2.युद्ध अथवा किसी कार्य को करने के लिए ह्रदय में जो उत्साह का भाव जागृत होता है उसमें वीर रस कहते हैं |
3.बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी इसमें वीर रस का मिश्रण है
8. रस के आवश्यक तत्व कौन कौन से हैं? लिखिए।
स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव।
9. विभाव किसे कहते हैं?
विभाव का अर्थ है भाव को प्रकट करने वाले कारण को विभाव कहते हैं। अर्थात् वे सभी साधन जिनके कारण हमारे मन में भाव उत्पन्न होते हैं,उन्हें विभाव कहते हैं।
10. अनुभाव के भेद लिखिए।
अनुभाव के भेद-
(1) संशय, (2) विपर्यय तथा (3) तर्क।
11. विभाव और अनुभाव में अंतर लिखिए।
विभाव
1. विभाव, भाव का मात्र कारण होता है।
2. विभाव के तीन पक्ष हैं- आश्रय, आलंब एवं उद्दीपन
3. विभाव कोई व्यक्ति, विषय, प्रसंग हो सकता है।
अनुभाव
1. अनुभाव, भावों का परिवर्तन या चेष्टाएँ हैं।
2. अनुभाव केवल ‘आश्रय’ पर निर्भर होता है।
3. अनुभाव आश्रय की कायिक या सात्विक चेष्टाएँ होती हैं।
उदाहरण- राम का सीता को पहली बार जनक वाटिका में देखना।
यहाँ, आश्रय- राम, आलंबन- सीता, उद्दीपन- प्राकृतिक वातावरण एवं सीता का अलौकिक सौंदर्य।
विभाव के उदाहरण में राम का सीता को देखना, मन-ही-मन पुलकित एवं रोमांचित होना अनुभाव है।
12. स्थाई भाव और संचारी भाव में अंतर लिखिए।
स्थायी भाव | संचारी भाव |
1. संचारी भाव की संख्या 33 है। | 1. इसकी संख्या केवल 10 है |
2. ये स्थायी भाव के अंग हैं। | 2. ये संचारी भाव के अंग नहीं हैं। |
3. वे भाव जो व्यक्ति के हृदय में सदैव रहते हैं। ये अस्थिर होते हैं। | 3. वे भाव जो संचरित होते रहते हैं। ये अस्थिर होते हैं। |
4. स्थायी भाव एक रस में एक ही होता है। | 4 . संचारी भाव एक रस में अनेक होते हैं। |
5. ये आते-जाते रहते हैं। | 5. स्थायी भाव संचारित नहीं होते हैं। |
6. ये स्थायी भाव के जागरण में सहायक होते हैं हैं। | 6. स्थायी भाव संचारी भावों को नहीं जगाते हैं। |
13. आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव में अंतर लिखिए।
आलंबन विभाव
भावों का उद्गम जिस मुख्य भाव या वस्तु के कारण हो वह काव्य का आलंबन कहा जाता है। जैसे शृंगार रस में नायक और नायिका "रति" संज्ञक स्थाई भाव के आलंबन होते हैं
आलंबन के अंतर्गत आते हैं विषय और आश्रय।
उद्दीपन विभाव
स्थायी भाव को जाग्रत रखने में सहायक कारण उद्दीपन विभाव कहलाते हैं। शृंगार रस में नायक के लिए नायिका यदि आलंबन है तो उसकी चेष्टाए रति भाव को उद्दीपक करने के कारण उद्दीपक विभाव कहलाती है रति क्रिया के लिए उपयुक्त वातावरण जैसे चादनी रात, प्राकृतिक सुषमा, शांतिमय वातावरण आदि विषय उद्दीपक विभाव के अंतर्गत आते हैं
उदाहरण (१) वीर रस के स्थायी भाव उत्साह के लिए सामने खड़ा हुआ शत्रु आलंबन विभाव है। शत्रु के साथ सेना, युद्ध के बाजे और शत्रु की दर्पोक्तियां, गर्जना-तर्जना, शस्त्र संचालन आदि उद्दीपन विभाव हैं।
उद्दीपन विभाव के दो प्रकार माने गये हैं:
- आलंबन-गत (विषयगत)
- बाह्य-गत (बर्हिगत)
14. रस किसे कहते हैं ?
रस : रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।रस को काव्य की आत्मा माना जाता है।
15. काव्य किसे कहते हैं?
आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा हैं " वाक्यं रसात्मकं काव्यम्य " मतलब रसयुक्त वाक्य को ही काव्य कहा कहा जाता है।
16. काव्य के भेद बताइए?
काव्य के दो भेद माने गये हैं
- श्रव्य काव्य
- दृश्य काव्य
17. शैली की दृष्टि से काव्य के भेद लिखिए।
- पद्य काव्य - इसमें किसी कथा का वर्णन काव्य में किया जाता है, जैसे गीतांजलि
- गद्य काव्य - इसमें किसी कथा का वर्णन गद्य में किया जाता है, जैसे जयशंकर की कमायनी
- चंपू काव्य - इसमें गद्य और पद्य दोनों का समावेश होता है।
18. प्रबंध काव्य का अर्थ बताते हुए उसके भेद लिखिए।
प्रबंध काव्य
इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस।
प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं - महाकाव्य एवं खण्डकाव्य।
19. खंड काव्य किसे कहते हैं? लिखिए।
खण्डकाव्य भी प्रबन्ध-काव्य का एक भेद है। इसमे जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अनुभूति का पूर्णतः के साथ चित्रण किया जाता है। खण्डकाव्य जीवन का न तो खण्डित चित्र है, न महाकाव्य का अंश। यह सीमित आकार मे स्वतः पूर्ण रचना है। खण्डकाव्य के उदाहरण पंचवटी, जयद्रथ वध, नहुष, सुदामा चरित, मिलन, पथिक आदि।
20. महाकाव्य की विशेषताएँ लिखिए।
महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। जैसे - पद्मावत, रामचरितमानस, कामायनी, साकेत आदि महाकव्य हैं।
- महाकाव्य का नायक कोई पौराणिक या ऐतिहासिक हो और उसका धीरोदात्त होना आवश्यक है।
- जीवन की संपूर्ण कथा का सविस्तार वर्णन होना चाहिए।
- श्रृंगार, वीर और शांत रस में से किसी एक की प्रधानता होनी चाहिए। यथास्थान अन्य रसों का भी प्रयोग होना चाहिए।
- आठ या आठ से अधिक सर्ग होने चाहिए, प्रत्येक सर्ग के अंत में छंद परिवर्तन होना चाहिए तथा सर्ग के अंत में अगले अंक की सूचना होनी चाहिए
21. खंड काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
खंडकाव्य इसमें किसी की संपूर्ण जीवनकथा का वर्णन न होकर केवल जीवन के किसी एक ही भाग का वर्णन होता है। जैसे - पंचवटी, सुदामा चरित्र, हल्दीघाटी, पथिक आदि खंडकाव्य हैं।
- कथावस्तु काल्पनिक हो।
- उसमें सात या सात से कम सर्ग हों।
- उसमें जीवन के जिस भाग का वर्णन किया गया हो वह अपने लक्ष्य में पूर्ण हो।
- प्राकृतिक दृश्य आदि का चित्रण देश काल के अनुसार और संक्षिप्त हो।
22. दो महाकाव्य और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
हिन्दी के प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचयिता के नाम
रामचरितमानस = तुलसीदास
रामचन्द्रिका = केशवदास
साकेत = मैथिलीशरण गुप्त
कामायनी = जयशंकर प्रसाद
पद्मावत = मलिक मुहम्मद जायसी
23. दो खंडकाव्य और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
हिन्दी के प्रमुख खण्डकाव्य एवं उनके रचयिता
सुदामा चरित्र = नरोत्तमदास
पंचवटी = मैथिलीशरण गुप्त
पथिक = रामनरेश त्रिपाठी
हल्दीघाटी = श्यामनारायण पाण्डेय
कुरुक्षेत्र = रामधारी सिंह 'दिनकर'
24. आख्यान गीत किसे कहते हैं उदाहरण लिखिए।
आख्यानक गीत; आख्यान का अर्थ है कथा। ऐसी पद्दबध्द रचना जिसमें एक लघु आख्यान या कथा वर्णित होती हैं तथा जिसके छन्दों मे गेयता वर्णित होती है, उसे आख्यानक गीत कहते हैं। जैसे झांसी की रानी।
25. प्रबंध काव्य मुक्तक काव्य में अंतर लिखिए।
प्रबंध काव्य- इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस।
मुक्तक काव्य - कविता का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है। कबीर एवं रहीम के दोहे; मीराबाई के पद्य आदि सब मुक्तक रचनाएं हैं।
26. महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर लिखिए।
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर
27. पाठ्य मुक्तक एवं गेय मुक्तक में अंतर लिखिए।
पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक में अंतर निम्न है।
पाठ्य मुक्तक | गेय मुक्तक |
1. पाठ्यमुक्तक पढ़े जाते है। | ये गाये जाते है। |
2. एक ही भाव की गहनता होती है | संगीतात्मकता होती है। |
3. इसके कवि, विहारी, कबीर, रहीम है। | इसके कवि, सुरदास, तुलसीदास, मीरा बाई है। |
28. मुक्तक काव्य के रूप लिखिए तथा उसके प्रमुख लक्षण भी लिखिए।
मुक्तक काव्य-
काव्य का वह रूप जिसमें एक ही छंद में एक विचार, एक भाव या एक अनुभूति को बिना किसी पूर्वोपर संबंध के अपने आप में पूर्णता के साथ प्रस्तुत किया गया हो, मुक्तक काव्य कहलाता है।
मुक्तक काव्य अपने आप में पूर्ण स्वतंत्र काव्य रचना(छंद/इकाई) होती है। इसकी पूर्णता के लिए ना तो इसके पहले और ना इसके बाद में, किसी संदर्भ या कथा की आवश्यकता होती है ।
जिस प्रकार एक मोती सौन्दर्य की एक इकाई होता है। उसका सौन्दर्य अपने आप में पूर्ण होता है। उसके लिए किसी दूसरे मोती, सोने, चाँदी या अन्य सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है। ठीक उसी प्रकार बिहारी, कबीर, रहीम, मीरा, सूर, तुलसी आदि के अपने आप में पूर्ण दोहे या पद मुक्तक काव्य के उदाहरण हैं।
मुक्तक काव्य के प्रकार-
१• गेय मुक्तक - ऐसे मुक्तक जो भाव प्रधान हों, जिनको सुर और लय के साथ गाया जा सके,गेय मुक्तक कहलाते हैं । जैसे- मीरा, कबीर, तुलसी आदि के पद।
२• पाठ्य मुक्तक- ऐसे मुक्तक जो विचार प्रधान होते हैं, जिनमें चिंतन या तर्क-वितर्क की प्रधानता होती है, पाठ्य मुक्तक कहलाते हैं। जैसे-बिहारी, रहीम, कबीर, देव आदि के दोहे।
29. महाकाव्य किसे कहते हैं? पाँच महाकाव्य के नाम और रचनाकारों के नाम लिखिए।
महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। जैसे - पद्मावत, रामचरितमानस, कामायनी, साकेत आदि महाकव्य हैं।
हिन्दी के प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचयिता के नाम
रामचरितमानस = तुलसीदास
रामचन्द्रिका = केशवदास
साकेत = मैथिलीशरण गुप्त
कामायनी = जयशंकर प्रसाद
पद्मावत = मलिक मुहम्मद जायसी
30. अलंकार की परिभाषा एवं भेद लिखिए।
अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है कि आभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है।
अलंकार के भेद
अलंकार को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है।
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
31. अलंकारों के प्रकार पर प्रकाश लिखिए।
अलंकार के भेद
अलंकार को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है।
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
32. रूपक अलंकार की परिभाषा लिखिए।
रूपक अलंकार
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।
33. रूपक अलंकार के प्रकार लिखिए।
रूपक अलंकार के मुख्यतः दो भेद होते है:-
- अभेद रूपक
- तद्रूप रूपक
34. रूपक अलंकार की परिभाषा लिखिए।
रूपक अलंकार
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।
35. संदेह अलंकार की परिभाषा लिखिए।
परिभाषा: रूप-रंग, आदि के साद्रश्य से जहां उपमेय में उपमान का संशय बना रहे या उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में संशय रहे, वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
36. भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा लिखिए।
जब किसी वस्तु में अन्य वस्तु का कुछ सादृश्य होने के कारण भ्रम हो जाए और ऐसा प्रतीत होने लगे कि वह अवास्तविक वस्तु ही है,जबकि वास्तव में वह वस्तु नहीं,तब भ्रांतिमान अलंकार होता है।
37. विरोधाभास अलंकार की परिभाषा लिखिए।
परिभाषा– जहाँ वास्तविक विरोध न होकर केवल विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। अर्थात जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध न होते हुए भी विरोध का आभाष हो वहाँ पर विरोधाभास अलंकार होता है।
38. व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा लिखिए।
व्यतिरेक अलंकार परिभाषा
व्यतिरेक अलंकार : इस अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाता है।
जैसे-
जिनके जस प्रताप के आगे।ससि मलिन रवि सीतल लागे।
यहाँ उपमेय ‘यश’ और ‘प्रताप’ को उपमान ‘शशि’ एवं ‘सूर्य’ से भी उत्कृष्ट कहा गहा है।
39. छन्द किसे कहते हैं?
जिस शब्द-योजना में वर्णों या मात्राओं और यति-गति का विशेष नियम हो, उसे छन्द कहते हैं।
40. छन्द कितने प्रकार के होते हैं?
छन्द दो प्रकार के होते हैं-
वर्णिक छन्द और मात्रिक छन्द।
41. वर्णिक ओर मात्रिक छन्द में अंतर लिखिए।
मात्रिक छंदों के सभी चरणों में संख्या मात्राओं की तो समान होती है लेकिन क्रम लघु गुरु समान नहीं होते। वर्ण छंदों के सभी चरणों की संख्या वर्णों की और क्रम लघु गुरु का दोनों समान होती है।
42. सोरठा के लक्षण लिखिए।
सोरठा मात्रिक छंद है और यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।
43 कवित्त छन्द की परिभाषा लिखिए।
साधारण अर्थ में कविता को 'कवित्त' कहते हैं किन्तु विशेष अर्थ के रूप में कवित्त एक छन्द है। इसमें प्रत्येक चरण में ८, ८, ८, ७ के विराम से ३१ अक्षर होते हैं । केवल अन्त में गुरु होना चाहिए, शेष वर्णो के लिये लघु गुरु का कोई नियम नहीं है ।
44. सवैया छन्द की परिभाषा एवं प्रकार लिखिए।
वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चरण वाले जाति छन्दों को सामूहिक रूप से हिन्दी में सवैया कहने की परम्परा है
45. रूबाई छन्द की विशेषताएँ लिखिए।
उर्दू साहित्य में चार पंक्तियों की उस कविता को रुबाइ कहते हैं जिनमें एक ही विचार प्रकट किया गया हो। इनमें हर प्रकार के विचार लाए जा सकते हैं। पर प्रायः इसमें लाए जाने वाले विचार दार्अशनिक होते हैं।पहले दो मिसरे मतले की तरह होते हैं. दोनो मे काफ़िया इस्तेमाल होता है और तीसरे को छोडकर चौथे मे काफ़िया इस्तेमाल होता है.चारो मिसरों मे भी काफ़िए का प्रयोग हो सकता है.रुबाई मे चौथे मिसरे मे अपनी बात खत्म करनी होती है नही तो रूबाई किता बन जायेगी. ये बहुत अहम बात है.
46. कवित्त छन्द का उदाहरण लिखिए।
47. सवैया छन्द का उदाहरण एवं प्रकार लिखिए।
उदाहरण
48. मतगयंद सवैया के लक्षण और उदाहरण लिखिए।
मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। नरोत्तमदास, तुलसी,केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि ने इसका प्रयोग किया है।
- "केसव गाधि के नन्द हमें वह ज्योति सो मूरतिवन्त दिखायी।
49. दुर्मिल सवैया के लक्षण और उदाहरण लिखिए।
दुर्मिल सवैया - यह एक वार्णिक छन्द है | इसके प्रत्येक चरण में 24 वर्ण है| इसे ‘चंद्रकला’ भी कहते है इसमें चार चरण होते है
उदाहरण- “पुर तै निकसी रघुवीर वधु धरि धीरदये मग में डग है ...|
झलकि भरी भाल कनि जल की, पुट सुखि गये मधुराधर वै |
फिर बुझती है, “चलनो अब केतिक, पर्णकुटी करिहौ कित है?” तिय की लखि आतुरता पिय की, अँखियाँ अति चारू चली जल च्वै ||”
50. दोहा और सोरठा में अंतर लिखिए।
दोहा और सोरठा में अंतर
सोरठा और छन्द छंद में निम्नलिखित प्रकार से अंतर को समझ सकते हैं –
(1) दोहे के द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ तथा सोरठा के प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ होती है।
(2) दोहे के प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ और सोरठा के द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। इस प्रकार सोरठा दोहा छन्द का उल्टा होता है।
दोहे का उदाहरण-
“चलत पयादे खात फल पिता दीन्ह तजि राजु ।
जात मनावन रघुबरहिं भरत सरिस को आजु ॥”
सोरठे का उदाहरण-
“बन्दउ गुरु पद कंज, कृपांसिन्धु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज, जासु वचन रविकर निकर ।।”
51. शब्द शक्ति किसे कहते हैं? उसके भेदों के नाम लिखिए।
शब्द शक्ति से अभिप्राय — शब्द अपना एक निर्धारित अर्थ नहीं रखते। शब्दों का अलग-अलग संदर्भों में जब प्रयोग किया जाता है, तो उनके अलग-अलग अर्थ निकलते हैं। इस अलग अर्थ का ज्ञान कराने वाली शक्ति ही शब्द शक्ति कहलाती है।
शब्द शक्ति के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं –
(1) अभिधा शक्ति,(2) लक्षणा शक्ति(3) व्यंजना शक्ति
52. शब्द शक्ति के भेद उदाहरण सहित लिखिए।
शब्द शक्ति के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं –
(1) अभिधा शक्ति,(2) लक्षणा शक्ति(3) व्यंजना शक्ति
53. अभिधा शब्द शक्ति की परिभाषा लिखिए।
अभिधा शब्द शक्ति से तात्पर्य है – शब्द को सुनने/पढ़ने के बाद श्रोता (पाठक) को शब्द को लोक प्रसिद्ध अर्थ तुरंत प्राप्त होना। वाक्य में अभिधा शब्द शक्ति वहां होती है, जहाँ पर वक्ता द्वारा कहे गए कथन का श्रोता दौरा ज्यों का त्यों अर्थ ग्रहण कर लिया जाता है।
जैसे – परम रम्य आराम यहँ, जो रामहिं सुख देत।
54. लक्षणा शब्द शक्ति उदाहरण सहित लिखिए।
‘लक्षणा’ शब्द की वह शक्ति है, जिससे लक्ष्यार्थ प्रकट हो। जब कोई शब्द अपने मुख्यार्थ को छोड़कर तत्संबंधी विशेष/अन्य अर्थ को बताए तब उसे लक्षणा शब्द शक्ति और उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं।
जैसे – बिहार जाग उठा।
यहाँ ‘बिहार’ शब्द का मुख्यार्थ है – भारत का एक राज्य।
55. व्यंजना शब्द शक्ति किसे कहते हैं? उदाहरण लिखिए।
जहाँ न वाच्यार्थ काम करें और न लक्ष्यार्थ अर्थात जहाँ शब्द का न तो लोक प्रसिद्ध अर्थ काम करें और न ही तत्संबंधी विशेष अर्थ, वहाँ व्यंजना शक्ति से शब्द का व्यंग्यार्थ लिया जाता है।व्यंजना शक्ति केवल अर्थ का संकेत मात्र देती है, बाकी अर्थ अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर श्रोता स्वयं लगाता है। काव्य में निहित गूढ़ अर्थ जिसे अभिधा/लक्षणा से नहीं जाना जा सकता वहाँ व्यंजना शब्द शक्ति होती है।
उदाहरण ‘ पानी गए न उबरे मोती मानस चून। ‘ यहाँ पानी के अनेक अर्थ है और इसका पर्यायवाची रखने पर व्यंजना समाप्त हो जाएगी।
56. अभिधा और लक्षणा शब्द शक्ति में अंतर लिखिए।
अभिधा शब्द शक्ति से तात्पर्य है – शब्द को सुनने/पढ़ने के बाद श्रोता (पाठक) को शब्द को लोक प्रसिद्ध अर्थ तुरंत प्राप्त होना। वाक्य में अभिधा शब्द शक्ति वहां होती है, जहाँ पर वक्ता द्वारा कहे गए कथन का श्रोता दौरा ज्यों का त्यों अर्थ ग्रहण कर लिया जाता है।
जैसे – परम रम्य आराम यहँ, जो रामहिं सुख देत।
‘लक्षणा’ शब्द की वह शक्ति है, जिससे लक्ष्यार्थ प्रकट हो। जब कोई शब्द अपने मुख्यार्थ को छोड़कर तत्संबंधी विशेष/अन्य अर्थ को बताए तब उसे लक्षणा शब्द शक्ति और उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं।
जैसे – बिहार जाग उठा।
यहाँ ‘बिहार’ शब्द का मुख्यार्थ है – भारत का एक राज्य।
57. लक्षणा और व्यंजना शब्द शक्ति में अंतर लिखिए।
‘लक्षणा’ शब्द की वह शक्ति है, जिससे लक्ष्यार्थ प्रकट हो। जब कोई शब्द अपने मुख्यार्थ को छोड़कर तत्संबंधी विशेष/अन्य अर्थ को बताए तब उसे लक्षणा शब्द शक्ति और उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं।
जैसे – बिहार जाग उठा।
यहाँ ‘बिहार’ शब्द का मुख्यार्थ है – भारत का एक राज्य।
व्यंजना शब्द शक्ति जहाँ न वाच्यार्थ काम करें और न लक्ष्यार्थ अर्थात जहाँ शब्द का न तो लोक प्रसिद्ध अर्थ काम करें और न ही तत्संबंधी विशेष अर्थ, वहाँ व्यंजना शक्ति से शब्द का व्यंग्यार्थ लिया जाता है।व्यंजना शक्ति केवल अर्थ का संकेत मात्र देती है, बाकी अर्थ अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर श्रोता स्वयं लगाता है। काव्य में निहित गूढ़ अर्थ जिसे अभिधा/लक्षणा से नहीं जाना जा सकता वहाँ व्यंजना शब्द शक्ति होती है।
उदाहरण ‘ पानी गए न उबरे मोती मानस चून। ‘ यहाँ पानी के अनेक अर्थ है और इसका पर्यायवाची रखने पर व्यंजना समाप्त हो जाएगी।
58. शब्द गुण या काव्य गुण की परिभाषा और प्रकार लिखिए।
शब्द गुण
काव्य में आंतरिक सौन्दर्य तथा रस के प्रभाव एवं उत्कर्ष के लिए स्थायी रूप से विद्यमान मानवोचित भाव और धर्म अथवा तत्व को काव्य गुण ( शब्द गुण ) कहते हैं । यह काव्य में उसी प्रकार विद्यमान होता है , जैसे फूल में सुगन्धि।
काव्य गुण या शब्द गुण के प्रकार
1] माधुर्य गुण
2] ओज गुण
3] प्रसाद गुण
59. प्रसाद गुण संपन्न कविताओं की क्या विशेषता है? लिखिए।
प्रसाद गुण– जिस गुण विशेष के कारण सहृदय के चित्त में कोई कविता तत्काल अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करे और भाव स्पष्ट हो जाए वहाँ 'प्रसाद गुण' होता है।
उदाहरण-
जसुमति मन अभिलास करै
कब मेरौ लाल घुटुरुवनि रेंगे कब धरनी पग द्वैक धरै।
कब द्वै दाँत दूध के देखों कब तोतरे मुख वचन झरै।
उपर्युक्त उदाहरण में माता यशोदा की अभिलाषा का चित्रण है। जहाँ प्रसाद गुण उत्पन्न होता है।
60. ओज गुण का एक उदाहरण लिखिए।
ओज गुण– जहाँ कविता को पढ़कर ओज, जोश और उत्साह का भाव जाग्रत हो, 'वीर-रस' का संचार हो वहाँ 'ओज गुण' होता है। 'ओज गुण' की कविता में 'ट' वर्ग की प्रमुखता होती है।
उदाहरण-
एक क्षण भी न सोचो कि तुम होगे नष्ट,
कि तुम अनश्वर हो! तुम्हारा भाग्य है सुस्पष्ट।
61. माधुर्य गुण की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
माधुर्य गुण - जिस गुण विशेष के कारण सहृदय का चित्त आनंद से द्रवित हो जाए, उसमें कठोरता अथवा विरक्ति पैदा न हो, उसे माधुर्य गुण कहते हैं। यह गुण प्रायः शृंगार, करुण और शांत रसों में रहता है। इस गुण सम्पृक्त रचना में 'ट' वर्ग के शब्द, पंचम वर्णों के संयोग से बने दीर्घ शब्द व लंबे पद नहीं होते।
उदाहरण-
'बीती विभावरी जाग री।
अंबर-पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा नागरी।"
62. माधुर्य और प्रसाद गण में अंतर लिखिए।
माधुर्य गुण - जिस गुण विशेष के कारण सहृदय का चित्त आनंद से द्रवित हो जाए, उसमें कठोरता अथवा विरक्ति पैदा न हो, उसे माधुर्य गुण कहते हैं। यह गुण प्रायः शृंगार, करुण और शांत रसों में रहता है। इस गुण सम्पृक्त रचना में 'ट' वर्ग के शब्द, पंचम वर्णों के संयोग से बने दीर्घ शब्द व लंबे पद नहीं होते।
उदाहरण-
'बीती विभावरी जाग री।
अंबर-पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा नागरी।"
प्रसाद गुण– जिस गुण विशेष के कारण सहृदय के चित्त में कोई कविता तत्काल अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करे और भाव स्पष्ट हो जाए वहाँ 'प्रसाद गुण' होता है।
उदाहरण-
जसुमति मन अभिलास करै
कब मेरौ लाल घुटुरुवनि रेंगे कब धरनी पग द्वैक धरै।
कब द्वै दाँत दूध के देखों कब तोतरे मुख वचन झरै।
उपर्युक्त उदाहरण में माता यशोदा की अभिलाषा का चित्रण है। जहाँ प्रसाद गुण उत्पन्न होता है।
63. ओज और माधुर्य गुण में अंतर लिखिए।
ओज गुण– जहाँ कविता को पढ़कर ओज, जोश और उत्साह का भाव जाग्रत हो, 'वीर-रस' का संचार हो वहाँ 'ओज गुण' होता है। 'ओज गुण' की कविता में 'ट' वर्ग की प्रमुखता होती है।
उदाहरण-
एक क्षण भी न सोचो कि तुम होगे नष्ट,
कि तुम अनश्वर हो! तुम्हारा भाग्य है सुस्पष्ट।
माधुर्य गुण - जिस गुण विशेष के कारण सहृदय का चित्त आनंद से द्रवित हो जाए, उसमें कठोरता अथवा विरक्ति पैदा न हो, उसे माधुर्य गुण कहते हैं। यह गुण प्रायः शृंगार, करुण और शांत रसों में रहता है। इस गुण सम्पृक्त रचना में 'ट' वर्ग के शब्द, पंचम वर्णों के संयोग से बने दीर्घ शब्द व लंबे पद नहीं होते।
उदाहरण-
'बीती विभावरी जाग री।
अंबर-पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा नागरी।"
64. बिम्ब क्या है? उदाहरण के माध्यम से लिखिए।
बिम्ब शब्द अंग्रेजी के 'इमेज' का हिन्दी रूपान्तर है। इसका अर्थ है, - "मूर्त रूप प्रदान करना"। काव्य में कार्य के मूर्तीकरण के लिए सटीक बिम्ब योजना होती है। काव्य में बिम्ब को वह शब्द चित्र माना जाता है जो कल्पना द्वारा ऐन्द्रिय अनुभवों के आधार पर निर्मित होता है
65. बिम्ब के भेद लिखिए।
66. प्रेरक अनुभूति के आधार पर बिम्ब के प्रकार लिखिए।
प्रेरक अनुभूति के आधार पर
- सरल बिम्ब
- मिश्रित बिम्ब
- तात्कालिक बिम्ब
- संकुल बिम्ब
- भावातीत बिम्ब
- विकीर्ण बिम्ब
67. बिम्ब कितने प्रकार के होते हैं?
बिम्ब के चार प्रकार होते हैं – दृश्य बिम्ब, श्रव्य बिम्ब, विचार बिम्ब तथा भाव बिम्ब।