प्रश्न बैंक 2023 उत्तर सहित कक्षा 12 वींं विषय हिन्दी सॉल्यूशन पीडीएफ डाउनलोड || mp board question bank solution 2023 class 12th hindi || कक्षा 12 वींं विषय हिन्दी प्रश्न बैंक 2023 उत्तर सहित सॉल्यूशन फ्री पीडीएफ डालनलोड | Part 11
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प्रश्न बैंक 2023 हिन्दी सॉल्यूशन
इकाई-3 Part 11
गद्य खण्ड
(02 अंक)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था? वह अपने इस नाम को क्यो छुपाती रही?
उत्तर: भक्तिन का असली नाम लछमिन था जिसका अर्थ लक्ष्मी है जो समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। बात का ज्ञान है की उसके नाम तथा परिस्थिति के बीच का विरोधभास उसे समाज में बस उपहास का पात्र बनता है। समाज से उसे उपहास के अतिरिक्त और कुछ प्राप्त नहीं होगा। इसलिए वह लोगों से अपना असली नाम छिपाती थी।
2. नौकरी की खोज में आईं भक्तिन ने अपने वास्तविक नाम लछमिन का उपयोग न करने की बात लेखिका से क्यों कही?
उत्तर: लक्ष्मी नाम होने के बाद भी वह कंगाल है। लोगों द्वारा इस नाम को बुलाना उसे स्वयं का उपहास लगता है। अतः वह अपने असली नाम को छुपाना चाहती है। जब भक्तिन से लेखिका ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम तो बताया मगर साथ में लेखिका से निवेदन किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से पुकारा नहीं जाए।
3. लगान न चुकाने पर जमींदार ने भक्तिन को क्या सजा दी?
उत्तर: एक बार लगान न पहुँचने पर जमींदार ने भक्तिन को बुलाकर दिन भर कड़ी धूप में खड़ा रखा। यह अपमान तो उसकी कर्मठता में सबसे बड़ा कलंक बन गया, अत: दूसरे ही दिन भक्तिन कमाई के विचार से शहर आ पहुँची।
4. लेखिका के अनुसार भक्तिन के जीवन का परम कर्तव्य क्या था?
उत्तर: किसी के संकेत करते ही भक्तिन उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्कशिरोमणि के लिए संभव नहीं यह उसका अपना घर ठहरा, पैसा-रुपया जो इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया। यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्तव्य ने मुझे प्रसन्न रखा है।
5. लेखिका की मनोदशा समझने में क्या भक्तिन प्रवीण थी?
उत्तर:
6. 'भक्तिन और मेरे बीच में सेवक-स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है।' लेखिका ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: भक्तिन और मेरे बीच में सेवक स्वामी का संबंध है, यह काफी कठिन है, क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो अच्छा होने पर भी सेवक की अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हंस दे।
7. भक्तिन के आ जाने से महादेवी देहाती कैसे हो गई? (Board Exam 2022)
उत्तर: भक्तिन तो देहाती थी ही पर उसके आ जाने पर महादेवी भी अधिक देहाती हो गई, पर उसे शहर की हवा नहीं लग पाई है। उसने महादेवी को भी देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उनके खाने की आदत डाल दी। वह बताती कि मकई का रात को बना दलिया सवेरे मट्टे से सौंधा लगता है। बाजरे के तिल लगाकर बनाये पुए बहुत अच्छे लगते हैं।
8. 'भक्तिन की कहानी अधूरी है।' लेखिका महादेवी ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है।
9. माया कौन जोड़ता है? बाजार दर्शन पाठ के आधार पर बताइये?
उत्तर: माया स्त्रिया जोड़ती है
10. 'पर्चेजिंग पावर' से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर: पर्चेजिंग पावर से अभिप्राय है-क्रय शक्ति। अर्थात् किसी इच्छित वस्तु को खरीदने की क्षमता। पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग वारने के लिए अधिकाधिक वस्तुएँ सामाजिक विकास हेतु खरीदी जानी चाहिएँ। ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में इसका उपयोग किया जा सकता है।
11. बाजार का जादू क्या है? वह कैसे काम करता है?
उत्तर: जेब भरी हो और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुंच जाएगा। कहीं हुई उस वक्त जेब भरी तब तो फिर वह मन किसकी मानने वाला है!
12. लेखक के पड़ोस में रहले वाले भगत जी क्या काम करते हैं?
उत्तर: लेखक के पड़ोस में एक महानुभाव रहते हैं जिनको लोग भगत जी कहते हैं। चूरन बेचते हैं। यह काम करते, जाने उन्हें कितने बरस हो गए हैं लेकिन किसी एक भी दिन चूरन से उन्होंने छ: आने पैसे से ज्यादा नहीं कमाए। चूरन उनका आस-पास सरनाम है।
13. बाजार एक जादू है? लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि बाजा़र का जादू हमारे सिर चढ़कर बोलता है। बाजा़र का जादू औंखों की राह काम करता है। हम बाजार में चीजों के आकर्षण में खो जाते हैं और उन्हें खरीदने को विवश हो जाते हैं।
14. बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: बाज़ार का जादू चढ़ने पर मनुष्य बाज़ार की आकर्षक वस्तुओं के मोह जाल में फँस जाता है। बाजार के इसी आकर्षण के कारण ग्राहक सजी-धजी चीजों को आवश्यकता न होने पर भी खरीदने को विवश हो जाता है। इस मोहजाल में फँसकर वह गैरजरूरी वस्तुएँ भी खरीद लेता है।
15. लेखक जैनेन्द्र कुमार के अनुसार 'बाजारूपन' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: बाज़ारूपन से तात्पर्य है कि बाजार की चकाचौंध में खो जाना। केवल बाजार पर ही निर्भर रहना। वे व्यक्ति ऐसे बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं जो हर वह सामान खरीद लेते हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत भी नहीं होती। वे फिजूल में सामान खरीदते रहते हैं अर्थात् वे अपना धन और समय नष्ट करते हैं।
16. 'बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता ‘बाजार दर्शन' पाठ क आधार पर बताइये?
उत्तर: यह बात बिलकुल सही है कि बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता। वह सिर्फ ग्राहक की क्रय-शक्ति को देखता है। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं कि खरीददार औरत है या मर्द, वह हिंदू है या मुसलमान; उसकी जाति क्या है या वह किस क्षेत्र-विशेष से है। बाजार में उसी को महत्व मिलता है जो अधिक खरीद सकता है।
17. 'स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त नहीं, बल्कि परस्थितिवश है' पठित पाठ आधार पर सिद्ध कीजिए?
उत्तर: यहाँ पर माया शब्द धन-संपत्ति की ओर संकेत करता है। आमतौर पर स्त्रियाँ माया जोड़ती देखी जाती हैं परन्तु उनका माया जोड़ने के पीछे अनेक कारण होते हैं जैसे - एक स्त्री के सामने घर-परिवार सुचारू रूप से चलाने की, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की, असमय आनेवाले संकट की, संतान के विवाह की, रिश्ते नातों को निभाने की जिम्मेदारियाँ आदि अनेक परिस्थितियाँ आती हैं जिनके कारण वे माया जोड़ती है।
18. नकली सामान के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
उत्तर: नकली सामान की जागरुकता के लिए हम आवाज़ उठा सकते हैं। यदि हमें कहीं पर नकली सामान बिकता हुआ दिखाई देता है, तो हम उसकी शिकायत सरकार से कर सकते हैं। सतर्क रह सकते हैं। प्रायः हम ही नकली सामान की खरीद-फरोक्त में शामिल होते हैं।
19. 'काले मेघा पानी दे' से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: 'काले मेघा पानी दे' एक सार्थक संस्मरण है। इसमें लेखक ने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। विज्ञान का अपना तर्क होता है और विश्वास का अपना सामर्थ्य।
20. 'गगरी फूटी बैल पियासा' का आशय क्या है?
उत्तर: 'गगरी फूटी बैल प्यासा' से लेखक का आशय यह है कि चारों तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा है और पानी के अभाव में घरों की गगरिया फूटने तक की नौबत आ चुकी है और बैल यानी पशु प्यासे मर रहे हैं। फूटी गगरी में पानी नहीं ठहरता। गर्मी के कारण ऐसे हालात बन गए हैं कि फूटी गगरिया में पानी नहीं बचा है और पशु प्यासे मरे जा रहे हैं।
21. 'पानी दे गुड़धानी दे' से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर: ‘गुड़धानी’ शब्द का वैसे तो अर्थ होता है गुड़ और चने से बना लड्डू लेकिन यहाँ गुड़धानी से आशय ‘अनाज’ से है। बच्चे पानी की माँग तो करते ही हैं लेकिन वे इंदर से यह भी प्रार्थना करते हैं कि हमें खुब अनाज भी देना ताकि हम चैन । से खा पी सकें। केवल पानी देने से हमारा कल्याण नहीं होगा। खाने के लिए अन्न भी चाहिए। इसलिए हमें गुड़धानी भी दो।।
22. 'पानी दे मैया, इंदर सेना आई है। यह कथन किसका है?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
23. बारिश के न होने पर गाँव की हालत कैसी थी?
उत्तर: गाँव में बारिश न होने से हालत अधिक खराब होती थी। खेतों में जहाँ जुताई होनी चाहिए, वहाँ की मिट्टी सूखकर - पत्थर बन जाती थी, फिर उसमें पपड़ी पड़ जाती थी और जमीन फटने लगती थी। लू के कारण लोग चलते-चलते गिर जाते थे। पशु प्यास के कारण मरने लगे थें।
24. तीज-त्यौहारों पर कौन-कौन से पकवान बनते हैं?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
25. त्याग से क्या आशय है? पठित पाठ 'काले मेघा पानी दे' के आधार पर बताइये।
उत्तर: जीजी का मानना है कि गरमी के कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव डोलती मेंढक मंडली पर एक बालटी पानी उँडेलना पानी का बीज बोना है। यदि कुछ पाना है तो पहले त्याग करना होगा। ऋषियों व मुनियों ने त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज बोने से काले मेघों की फ़सल होगी जिससे गाँव, शहर, खेत-खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।
26. 'यथा राजा तथा प्रजा' से लेखक का क्या आशय है।
उत्तर: इसका तात्पर्य यह है कि जैसा राजा हो वैसी ही प्रजा होती है। राजा का स्वभाव, रहन-सहन, कर्म, हाव-भाव, चाल-चलन जैसा होता है उसके राज्य की प्रजा का स्वभाव, रहन-सहन, कर्म, हाव-भाव, चाल-चलन उसी के अनुरूप बदल जाता है। अत: यह सच है कि यथा राजा तथा प्रजा।
27. लड़कों की टोली को 'मेढक-मंडली' नाम क्यों दिया गया?
उत्तर: लड़कों की टोली घर-घर जाकर पानी की माँग किया करते थे। लोग अपने घरों से पानी निकालकर इनके ऊपर डाला करते थे। इनके दो नाम थे मेंढक मंडली तथा इंदर सेना। जिन लोगों को इन बच्चों का चीखना-चिल्लाना, उछलना-कूदना तथा इनके कारण होने वाले कीचड़ से चिढ़ थी, उन्होंने इन्हें मेढक-मंडली का नाम दिया था।
28. इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को सही क्यों ठहराया गया?
उत्तर: जीजी के अनुसार मनुष्य के पास जो चीज़ ना हो और वह उसका त्याग करके किसी और को देता है, तो उसका बहुत अच्छा फल मिलता है। इंदर सेना ऐसे समय में पानी की माँग करती थी, जब लोगों के पास स्वयं पानी नहीं हुआ करता था। लोग अपने घरों से निकाल-निकालकर पानी देते थे। लेखक को पानी की यह बर्बादी पसंद नहीं थी। वह अपनी जीजी को ऐसा करने से मना करता था। तब जीजी ने समझाया कि मनुष्य जब स्वयं त्याग करता है, तो वह ईश्वर को विवश कर देता। ईश्वर उसके त्याग से प्रसन्न होकर उसे इनाम देते हैं।
29. लुट्टन का बचपन कैसा था?
उत्तर: बचपन में वह गाय चराता, धारोष्ण दूध पीता और कसरत किया करता था। गाँव के लोग उसकी सास को तरह-तरह की तकलीफ दिया करते थे; लुट्टन के सिर पर कसरत की धुन लोगों से बदला लेने के लिए ही सवार हुई थी। नियमित कसरत ने किशोरावस्था में ही उसके सीने और बाँहों को सुडौल तथा मांसल बना दिया था।
30. 'शेर के बच्चे ' का असली नाम क्या था? उसके गुरू का क्या नाम था?
उत्तर: 'शेर के बच्चे' का असली नाम था-चाँद सिंह। उसका गुरु पहलवान बादल सिंह था।
31, लट्टन ने श्यामनगर मेले में किसे और क्यों चनौती दी?
उत्तर: वह पहलवानों की कुश्ती और दांव-पेंच से बहुत प्रभावित हुआ। उससे प्रेरित होकर उसने बिना कुछ सोचे-समझे दंगल में 'शेर के बच्चे' के नाम से प्रसिद्ध चाँद सिंह पहलवान को चुनौती दे दी।
32. 'धाक धिना, तिरकट तिना, धाक धिना, तिरकट तिना' से क्या आशय है?
उत्तर: 'धाक धिना, तिरकट तिना, धाक धिना, तिरकट तिना' से आशय दाँव काटो,बाहर हो जाओ है
33. 'जीते रहो बहादुर! तुमने मिट्टी की लाज रख ली। यह कथन किसने, किस संदर्भ में कहा?
उत्तर: राजा ने लुट्टन को छाती से लगा लिया और उसे आशीर्वाद देते हुए कहा था- “जीते रही, बहादुर! तुमने मिट्टी की लाज रख ली।”
34. काला खाँ के संबंध में क्या बात मशहूर थी?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
35. लुट्टन पहलवान की मेलों में कया वेशभूषा रहती थी?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
36. पहलवान के कितने बेटे थे? लोगों की उनके प्रति क्या राय थी?
उत्तर: लुट्टन के दो पुत्र थे। लुट्टन पहलवान की स्त्री दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी। दोनों लड़के पिता की तरह ही गठीले और तगड़े थे। दंगल में दोनों को देखकर लोगों के मुँह से अनायास ही निकल पड़ता-”वाह! बाप से भी बढ्कर निकलेंगे यह दोनों बेटे!”
37. लुट्टन पहलवान का गुरू कौन था? ढोलक से उसका क्या नाता था?
उत्तर: लुट्टन का कोई गुरु नहीं था। उसने पहलवानों के दाँव-पेंच स्वयं सीखे थे। जब वह दंगल देखने गया तो ढोल की थाप ने उसमें जोश भर दिया था। इसी ढोल की थाप पर उसने चाँद सिंह पहलवान को चुनौती दे डाली थी और उसे चित कर दिखाया था।ढोल की थाप से उसे ऊर्जा मिली और वह जीत गया। इसी कारण ववहढोल को ही अपना गुरु कहता था। ढोल की थाप ने ही उसे पहलवानों के गुरु सिखाए-समझाए थे अत: वह ढोल को बहुत महत्त्व देता था।
38. शिरीष के फूलों की क्या विशेषता है?
उत्तर: शिरीष का फूल आँधी लू और गरमी की प्रचंडता में भी अवधूत की तरह अविचल होकर कोमल पुष्पों का सौंदर्य बिखेर रहे शिरीष के माध्यम से मनुष्य की अजेय जिजीविषा और तुमुल कोलाहल-कलह के बीच धैर्यपूर्वक लोक के साथ चिंतारत, कर्त्तव्यशील बने रहने को महान मानवीय मूल्य के रूप में स्थापित करता है।
39. शिरीष को कालजयी अवधूत क्यों कहा गया है?
उत्तर: भीषण और विकट गर्मी में भूमि से कुछ भी प्राप्त न होने की स्थिति में शिरीष वातावरण से रस चूसकर सदा हरा-भरा रहता है। शिरीष आँधी-लू और गर्मी की प्रचंडता में भी अवधूत की तरह अविचल और अटल होकर कोमल पुष्पों का सौंदर्य बिखेरता रहता है। इसी कारण लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत कहा है।
40. लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के अलावा और कौन-कौन से वृक्षों को मंगल जनक वृक्ष माना है?
उत्तर: लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के अलावा अशोक, अरिष्ट, पुन्नाग और घनमसृण हरीतिमा से परिवेष्टित वृक्षों को मंगल जनक वृक्ष माना है
41. शिरीष वृक्ष के बारे में संक्षिप जानकारी दीजिए?
उत्तर: शिरीष के फूल की यह विशेषता है कि भयंकर गरमी में जहाँ अधिकतर फूल खिल नहीं पाते, वहाँ शिरीष नीचे से ऊपर तक फूलों से लदा होता है। ये फूल लंबे समय तक रहते हैं। कबीरदास को पलास (ढाक) के फूल पसंद नहीं थे क्योंकि वे पंद्रह-बीस दिन के लिए फूलते हैं तथा फिर खंखड़ हो जाते हैं। उनमें जीवन-शक्ति कम होती है।
42. शिरीष के फूल को लेखक ने 'शीत पुष्प ' की संज्ञा किस आधार पर दी है?
उत्तर: गर्मी की मार झेलकर भी यह पुष्प शीत (ठंडा) बना रहता है। यह मन में ठंडक पैदा करता जान पड़ता है। इस फूल की इसी विशेषता को ध्यान में रखकर इसे शीतपुष्प की संज्ञा दी गई होगी। द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन-स्थितियों में अविचल रह कर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है।
43. शिरीष के फूल को बहुत कोमल क्यों माना गया है?
उत्तर: परवर्ती कवि ये समझते रहे कि शिरीष के फूलों में सब कुछ कोमल है अर्थात् वह तो कोमलता का आगार हैं लेकिन विवेदी जी कहते हैं कि शिरीष के फूलों में कोमलता तो होती है लेकिन उनका व्यवहार (फल) बहुत कठोर होता है। अर्थात् वह हृदय से तो कोमल है किंतु व्यवहार से कठोर है।
44. शिरीष के अलावा लेखक ने कौन-कौन से वृक्षों का उल्लेख किया है?
उत्तर: शिरीष के अलावा लेखक ने अशोक, अरिष्ट, पुन्नाग और घनमसृण हरीतिमा से परिवेष्टित से वृक्षों का उल्लेख किया है
45. कोमल और कठोर दोनों भाव किस प्रकार गांधी जी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए?
उत्तर: गाँधीजी सदा दूसरों का भला चाहा। अंग्रेजों के प्रति भी वे कठोर न थे। दूसरी ओर वे अनुशासन एवं नियमों के मामले में कठोर थे। ये दोनों विपरीत भाव गाँधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए थे।
46. 'शिरीष के फूल' पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि हजारी प्रसाद द्विवेदी को वनस्पतियों के प्रति रुचि है?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
47. अशोक वृक्ष की कोई दो विशेषताएँ लिखिये?
उत्तर: भारतीय साहित्य में बहुचर्चित एक सदाबहार वृक्ष। इसके पत्ते आम के पत्तों से मिलते हैं। वसंत-ऋतु में इसके फूल लाल-लाल गुच्छों के रूप में आते हैं। इसे कामदेव के पाँच पुष्पवाणों में से एक माना गया है इसके फल सेम की तरह होते हैं। इसके सांस्कृतिक महत्त्व का अच्छा चित्रण हजारी प्रसाद विवेदी ने निबंध अशोक के फूल में किया है। भ्रमवश आज एक-दूसरे वृक्ष को अशोक कहा जाता रहा है और मूल पेड़ (जिसका वानस्पतिक नाम सराका इंडिका है।) को लोग भूल गए हैं। इसकी एक जाति श्वेत फूलों वाली भी होती है।
48. 'जाति प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी का कारण है' क्या इस कथन से आप सहमत हैं, अपना तर्क दीजिए?
उत्तर: जातिप्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का भी एक कारण बनती रही है क्योंकि यहाँ जाति प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है। उसे पेशा बदलने की अनुमति नहीं होती। भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए।
49. 'दासता' की परिभाषा क्या है? पठित पाठ के आधार पर लिखिए?
उत्तर: लेखक के मतानुसार ‘दासता’ की व्यापक परिभाषा यह है जिसमें किसी को इस प्रकार की स्वतंत्रता न देना कि वह अपना व्यवसाय चुन सके। इसका सीधा अर्थ उसे ‘दासता’ मे जकड़कर रखना होगा। ‘दासता’ केवल कानूनी पराधीनता को ही नही कहा जाता, बल्कि दासता में वह स्थिति भी शामिल है जिसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्त्तव्यो का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। यह स्थिति कानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती है।
50. 'डॉ. अम्बेडकर ने भावनात्मक समत्व को मानवीय दृष्टि के तहत जातिवाद का उन्मूलन चाहा है।' इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर: हम इस कथन से सहमत हैं। भावनात्मक समत्व के लिए आवश्यक है कि भौतिक स्थिति और जीवन-सुविधाएँ प्रत्येक मनुष्य को समान रूप से प्राप्त हों। यदि प्रत्येक मनुष्य की भौतिक स्थिति और जीवन-सुविधाएँ समान होगीं, तो उनमें भावनात्मक समत्व बढ़ेगा ही नहीं बल्कि उसे स्थापित भी किया जा सकेगा।
51. डॉ. अम्बेडकर की दृष्टि में आदर्श समाज की कल्पना क्या है?
उत्तर: आंबेडकर ने एक स्वस्थ आदर्श समाज की संकल्पना की है। इस समाज में स्वतंत्रता, समता और भ्रातृत्व का साम्राज्य होगा। इसमें इतनी गतिशीलता होगी कि कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक संचारित हो सकेगा। समाज के बहुविधि हितों में सबका समान भाग होगा तथा सब उन हितों की रक्षा हेतु सजग रहेंगे।
52. 'भाईचारे का दूसरा नाम लोकतंत्र है। डॉ. अम्बेडकर जी ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
53. मनुष्य की क्षमता किन तीन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर: (i) जाति-प्रथा का श्रम विभाजन अस्वाभाविक है।
(ii) शारीरिक वंश परंपरा के आधार पर।
(iii) सामाजिक उत्तराधिकार अर्थात् समाजिक परंपरा के रूप में माता-पिता की प्रतिष्ठा, शिक्षा, ज्ञानार्जन आदि उपलब्धियों का लाभ।
54.न्याय का तकाज़ा क्या है?
उत्तर: न्याय का तकाजा यह है कि व्यक्ति के साथ वंश परंपरा व सामाजिक उत्तराधिकार के आधार पर असमान व्यवहार न करके समान व्यवहार करना चाहिए।
55. डॉ. अम्बेडकर की दृष्टि में 'समता' से क्या आशय है?
उत्तर: लेखक ‘समता’ पर विचार करते समय समझाता है-‘समता’ पर किसी को आपत्ति नही हो सकती है। फ्रांसीसी क्रांति के नारे में ‘समता’ शब्द ही विवाद का विषय रहा है। ‘समता’ के आलोचक यह कह सकते हैं कि सभी मनुष्य बराबर नहीं होते और उनका यह तर्क वजन भी रखता है। लेकिन तथ्य होते हुए भी यह विशेष महत्त्व नहीं रखता क्योंकि शाब्दिक अर्थ में ‘समता’ असंभव होते हुए भी यह नियामक सिद्धांत है। मनुष्यों की समता तीन बातों पर निर्भर रहती है-(1) शारीरिक वंश परंपरा, (2) सामाजिक उत्तराधिकार अर्थात् सामाजिक परंपरा के रूप में माता-पिता की कल्याण कामना, शिक्षा तथा वैज्ञानिक ज्ञानार्जन आदि, सभी उपलब्धियाँ जिनके कारण सभ्य समाज, जंगली लोगों की अपेक्षा विशिष्टता प्राप्त करता है और अंत में (3) मनुष्य के अपने प्रयत्न। इन तीनों दृष्टियों से निसंदेह मनुष्य समान नहीं होते।