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Class 12th Hindi Chapter-1 भक्तिन ( प्रश्न-उत्तर ) ( आरोह- Aroh ) Bhaktin- Question Answer

Class 12th Hindi Chapter-1 भक्तिन ( प्रश्न-उत्तर ) ( आरोह- Aroh ) Bhaktin- Question Answer

Class 12th Hindi Chapter-1 भक्तिन ( प्रश्न-उत्तर ) ( आरोह- Aroh ) Bhaktin- Question Answer

                    कक्षा 12वीं हिन्दी
                          अध्याय- 1
                             भक्तिन                      
                   (महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर)


1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?

उत्तर:- भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, हिन्दुओं के अनुसार लक्ष्मी धन की देवी है । प्रायः नाम व्यक्तित्व का परिचायक होता है किन्तु भक्तिन गरीब थी, उसका पूरा जीवन ससुराल वालों की सेवा करने और पति की मृत्यु के बाद संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ। इस प्रकार उसके नाम का वास्तविक अर्थ और उसके जीवन का यथार्थ दोनों परस्पर भिन्न थे। इसलिए निर्धन भक्तिन सबको अपना असली नाम लक्ष्मी बताकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती थी इसलिए वह अपना असली नाम छुपाती थी। उसे लक्ष्मी नाम उसके माता-पिता ने दिया होगा क्योंकि उन्हें लगा होगा कि बेटी लक्ष्मी का अवतार होती है इसलिए उसके आने से वे तो खुशहाल होंगें ही साथ ही वह जिसके घर जाएगी वे भी धन्य-धान्य से भरपूर हो जाएँगे। इस के बाद उसे और एक नाम मिला भक्तिन जो महादेवी वर्मा ने उसका घुटा हुआ सिर, गले में कंठी माला और भक्तों की तरह सादगीपूर्ण वेशभूषा देखकर दिया होगा।

2. दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?

उत्तर:- हाँ, हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि भक्तिन के पुत्र न होने पर उसे उपेक्षा अपने ही घर की स्त्रियों अर्थात सास और जिठानियों से मिली। सास और जिठानियाँ चौकी पर बैठ कर आराम फरमाती थी क्योंकि उन्होंने लड़कों को जन्म दिया था भले ही वे किसी लायक नहीं थे और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पड़ता था । यहाँ तक कि उनके खाने पीने में भी अन्तर था जेठानियों के लड़के दूध-मलाई खाते और लड़कियाँ मोटा अनाज । लड़कियाँ होने के बावजूद उसके पति का भक्तिन के प्रति स्नेह कभी भी कम नहीं हुआ। मेरे हिसाब से किसी भी घर में बिना स्त्री की सहमति के भ्रूणहत्या, दहेज़ की माँग, परिवार में बेटा-बेटी में अंतर, बेटी-बहूओं पर अत्याचार आदि नहीं किया जा सकता ।

 

3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा ज़बरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे?

 

उत्तर:- भक्तिन की बेटी के सन्दर्भ में पंचायत द्वारा किया गया न्याय, तर्कहीन और अंधे कानून पर आधारित है। भक्तिन के जेठ के बेटे ने संपत्ति के लालच में षडयंत्र कर उसकी विधवा लड़की को धोखे से जाल में फँसाया । पंचायत ने निर्दोष लड़की की कोई बात नहीं सुनी और एक तरफ़ा फैसला देकर उसका विवाह जबरदस्ती उसके निकम्मे तीतरबाज साले से कर दिया इसी वजह से भक्तिन को भी घर छोड़ना पड़ा । विवाह के इस संदर्भ में स्त्री के अधिकारों को कुचलने की परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। आज भी हमारे समाज में स्त्रियों के विवाह का निर्णय उसके परिवार वालों द्वारा लिया जाता है। उसे बेजान वस्तु की तरह अनजान हाथों में सौंप दिया जाता है।

 

4. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर:- यद्यपि भक्तिन महादेवीजी की सेवा पूरे मन से करती थी तथापि कई गुणों के साथ-साथ भक्तिन के व्यक्तित्व में कुछ दुर्गुण भी निहित थे -

1. वह घर में इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे भंडार घर की मटकी में छुपा देती थी और अपने इस कार्य को चोरी नहीं मानती थी।

2. महादेवी के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन बात को इधर-उधर करके बताने को झूठ नही मानती थी। अपनी बात को सही सि करने के लिए वह तर्क-वितर्क भी करती है।

3. वह दूसरों को अपनी इच्छानुसार बदल देना चाहती थी पर स्वयं बिलकुल नही बदलती ।

4. वह शास्त्रीय बातों की व्याख्या अपनी इच्छानुसार करती थी और उन्हें अपने नियमों एवं आदतों को उस आधार पर सही ठहरा कर ही मानती थी।

 

5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?

उत्तर:- लेखिका को भक्तिन का सिर मुंडवाना पसंद नहीं था। लेखिका उसे ऐसा करने के लिए हमेशा मना करती थी परन्तु भक्तिन केश मुँडाने से मना किए जाने पर शास्त्रों का हवाला देते हुए कहती है 'तीरथ गए मुडाए सिद्ध' । यह बात किस शास्त्र में लिखी है इसका भक्तिन को कोई ज्ञान नहीं था जबकि लेखिका को पता था कि यह उक्ति शास्त्र की न होकर किसी व्यक्ति द्वारा कही गई है परन्तु तर्क देने में पर भक्तिन की सिर मुंडवाने की आदत को लेखिका बदल नहीं पाई।

 

6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं?

उत्तर:- महादेवी, भक्तिन को नहीं बदल पायी पर भक्तिन ने महादेवी को बदल दिया। भक्तिन देहाती महिला थी और शहर में आने के बाद भी उसने अपने आप में कोई परिवर्तन नहीं आने दिया । भक्तिन देहाती खाना गाढ़ी दाल, मोटी रोटी, मकई की लपसी, ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे दाने, बाजरे के तिल वाले पुए आदि बनाती थी और महादेवी को वैसे ही खाना पड़ता था । भक्तिन के हाथ का मोटा - देहाती खाना खाते-खाते महादेवी का स्वाद बदल गया और वे भक्तिन की तरह ही देहाती बन गई।

 

7. आलो आँधारि की नायिका लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?

उत्तर:- आलो आँधारि की नायिका और भक्तिन के व्यक्तित्व में यह समानता है कि दोनों ही घरेलू नौकरानियाँ हैं। दोनों को ही परिवार से उपेक्षा मिली और दोनों ने ही अपने आत्म सम्मान को बचाते हुए अपने जीवन का निर्वाह किया।

 

8. भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अखबारों या टी. वी. समाचारों में आनेवाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।

उत्तर:- आज भी हमारे समाज में विवाह के संदर्भ में पंचायत का रुख बड़ा ही क्रूर, संकीर्ण और रुढ़िवादी है । आज भी विवाह संबंधी निर्णय पंचायत में लिए जाते हैं। पंचायत अपनी रुढ़िवादी विचारधाराओं से प्रभावित होकर कभी-कभी अमानवीय फैसले दे देती है। आज भी पंचायतों का तानाशाही रवैया जारी है। अखबारों तथा टी. वी में आए दिन इस प्रकार की घटनाएँ सुनने को मिलती है कि पंचायत ने पति-पत्नी को भाई-बहन की तरह रहने पर मजबूर कर दिया, शादी हो जाने के बाद भी पति-पत्नी को अलग रहने पर मजबूर किया और उनकी बात न मानने पर उनकी हत्या कर दी गई या उन्हें समाज से निष्कासित कर दिया गया।

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