Anurag Asati Classes

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Class 11th Hindi Chapter-9 Sabse Khatarnak | सबसे खतरनाक Easy Explained Vyakhya

Class 11th Hindi Chapter-9 Sabse Khatarnak | सबसे खतरनाक Easy Explained Vyakhya

Class 11th Hindi Chapter-9 Sabse Khatarnak | सबसे खतरनाक Easy Explained Vyakhya
( काव्यांश 1 )

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है

सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है

पर सबसे खतरनाक नहीं होता

सन्दर्भ:-

प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 1 में संकलित  कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गई हैं | इसके रचयिता अवतार सिंह संधू (पाश) है |

प्रसंग :-

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है की लूट, पुलिस का अत्याचार और देश द्रोह मनुष्यता के लिए खतरा नहीं है बल्कि इसके प्रति मौन रहना ही सबसे खतरनाक है |  

व्‍याख्‍या:-

कवि का कहना है कि यह सही है कि मेहनत के बदले उचित मजदूरी का न मिलना खतरनाक है । 

यह भी सही है कि पुलिस की मार पड़ना भी खतरनाक है और प्रलोभन के कारण देश के विरुद्ध षड्यंत्र रचना भी अत्यधिक खतरनाक है, परंतु ये सब सबसे अधिक खतरनाक नहीं हैं । 

संघर्ष किए बिना पुलिस द्वारा पकड़े जाना एवं जेल में डाल दिया जाना भी बहुत खराब स्थिति है । अन्याय के विरुद्ध चुपचाप सहमे पड़े रहना भी बुरी स्थिति है, परंतु इन सबको मानवता के लिए सबसे खतरनाक नहीं कहा जा सकता ।

( काव्यांश 2 )

कपट के शोर में

सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है

किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है

मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है

सबसे खतरनाक नहीं होता


प्रसंग :-

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने विरोध के भाव को भीतर ही दबा लेना गलत माना है |  

व्‍याख्‍या:-

कवि कहता है - यह बात बुरी एवं खतरनाक है कि चारों ओर छल - कपट को देखकर भी व्यक्ति चुप रहे और उसके विरुद्ध आवाज़ न उठाए । 

यह बात भी बहुत बुरी है कि व्यक्ति जुगनू के प्रकाश में पढ़े अर्थात् साधनहीनता की स्थिति में रहे ।

 साधनहीनता से निकलने के लिए संघर्ष न करे । यह भी बुरी बात है कि व्यक्ति अन्याय के विरोध में संघर्ष करना चाहे, किंतु कुछ कर न सके, केवल अपनी मुट्ठियाँ भींचता रहे ।

ये सब बातें बुरी हैं , परंतु इनसे भी बुरी और खतरनाक स्थितियाँ और हैं, जिनके परिणाम दूरगामी हैं ।

( काव्यांश 3 )

सबसे खतरनाक होता है

मुर्दा शांति से भर जाना

न होना तड़प का सब सहन कर जाना

घर से निकलना काम पर

 

और काम से लौटकर घर आना

सबसे खतरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है

आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो

आपकी निगाह में रुकी होती है

प्रसंग :-

प्रस्तुत  पंक्तियों  में कवि ने बताया है की मनुष्य के लिए सबसे खतरनाक स्थिति क्या है | 

व्‍याख्‍या:-

कवि कहता है कि सबसे खतरनाक स्थिति वह है, जब व्यक्ति जीवन के उल्लास व उमंग से मुँह मोड़कर तथा निराशा व अवसाद से घिरकर सन्नाटे में जीने का अभ्यस्त हो जाता है । 

उसके अंदर कभी न समाप्त होने वाली शांति छा जाती है । वह मूक दर्शक बनकर सब कुछ चुपचाप सहन करता जाता है , एक निश्चित ढर्रे पर आधारित जीवन जीने लगता है । वह घर से काम पर जाता है और काम समाप्त करके घर लौट आता है । उसके जीवन का मशीनीकरण हो जाता है । उसके सभी सपने मर जाते हैं और जीवन में कोई नयापन नहीं रह जाता है । उसकी सारी इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं । 

ये परिस्थितियाँ अत्यंत खतरनाक होती हैं ।कवि कहता है कि सबसे खतरनाक दृष्टि वह है जो अपनी कलाई पर बँधी घड़ी को सामने चलता देखकर भी यह सोचे कि जीवन स्थिर है।

मनुष्य समय के साथ खुद को नहीं बदलता और यही स्थिती खतरनाक है। 

( काव्यांश 4 )

सबसे खतरनाक वह आँख होती है

जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है

जिसकी नज़र दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है

जो चीज़ों से उठती अंधेपन की भाप पर दुलक जाती है

जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई

एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती

है

प्रसंग :-

प्रस्तुत  पंक्तियों  में कवि ने बताया है की संवेदनहीन होना मनुष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है |

व्‍याख्‍या:-

कवि सामाजिक विद्रूपताओं का विरोध न करने को सबसे खतरनाक मानता है । वह कहता है कि वह आँख बहुत खतरनाक होती है , जो अपने सामने हो रहे अन्याय को संवेदनशून्य होकर वैसे ही देखती रहती है , जैसे वह जमी हुई बर्फ हो ।

जिसकी नज़र इस संसार को प्यार से चूमना भूल जाती है अर्थात् जिस नज़र से प्रेम से व सौंदर्य की भावना समाप्त हो जाती है और जो हर वस्तु को घृणा की दृष्टि से देखती है, वह नज़र खतरनाक होती है । 

ऐसी नज़र जो वस्तु के लोभ में अंधी होकर उसे पाने के लिए आतुर हो उठती है वह सबसे खतरनाक है।

( काव्यांश 5 )

सबसे खतरनाक वह चाँद होता है

जो हर हत्याकांड के बाद

वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है

पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं

गड़ता है

प्रसंग :-

प्रस्तुत  पंक्तियों  में कवि ने  चाँद के माध्यम से ख़तरनाक स्थिति को बताया है |

व्‍याख्‍या:-

कवि कहता है कि वह चाँद खतरनाक होता है जो हत्याकांड अर्थात् अन्याय को देखने के बाद भी उन आँगनों में चढ़ता है

जो वीरान हो गए हैं अर्थात् अन्याय एवं अत्याचार देखने के उपरांत भी विरोध न करने को सबसे खतरनाक मानता है । 

चाँद सौंदर्य एवं शांति का प्रतीक है , परंतु हत्याकांडों का चश्मदीद गवाह भी है ।  

ऐसे चाँद की चाँदनी लोगों की आँखों में मिर्च की तरह नहीं गड़ती, बल्कि इसके विपरीत लोग चाँदनी में शांति महसूस करते हैं ।

 ऐसी शांति मानवता के लिए खतरनाक है । इससे मानवीय समस्याओं का समाधान नहीं निकल सकता ।

( काव्यांश 6 )

सबसे खतरनाक वह गीत होता है

आपके कानों तक पहुँचने के लिए

जो मरसिए पढ़ता है

आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर

जो गुंडे की तरह अकड़ता है

प्रसंग :-

प्रस्तुत  पंक्तियों  में कवि ने  बताया है की वह गीत ख़तरनाक है जो उत्साह की जगह भय पैदा करे |

व्‍याख्‍या:-

कवि के अनुसार वह गीत सबसे खतरनाक होता है, जो व्यक्ति में उत्साह की जगह भय पैदा करता है । 

कवि कहता है सबसे खतरनाक ऐसे गीत होते हैं, जो आपका ध्यान खींचने के लिए करुणा भरे स्वर व्यक्त करते हैं अर्थात् जो व्यक्ति में उत्साह का संचार करने के बजाय उसमें भय उत्पन्न करते हैं । 

जो डरे हुए लोगों को गुंडों की भाँति और अधिक धमकाते हैं , उन्हें लज्जित करते हैं, चिढ़ाते हैं तथा भयभीत करते हैं 

आशय यह है कि गीतकार का दायित्व बनता है कि वह डरे हुए लोगों को सहारा दे और प्रेरणा दे । उसकी बजाय उन्हें रुलाना या डराना दोनों ही निंदनीय हैं ।

( काव्यांश 7 )

सबसे खतरनाक वह रात होती है

जो ज़िंदा रूह के आसमानों पर ढलती है

जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़

हमेशा के अँधेरे बंद दरवाज़ों- चौगाठों पर चिपक जाते हैं

प्रसंग :-

प्रस्तुत  पंक्तियों  में कवि ने  अज्ञान एवं रुढियो से उत्पन्न कायरता को खतरनाक बताया है |

व्‍याख्‍या:-

कवि कहता है कि वह रात सबसे खतरनाक होती है , जो जीवित आत्माओं अर्थात् मनुष्यों के संसार पर आ घिरती है, जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते हैं या गीदड़ हुआँ - हुआँ करते हैं । 

ये उल्लू और गीदड़ हमेशा - हमेशा के लिए बंद हुए अँधेरे दरवाज़ों और चौखटों पर जाकर चिपक जाते हैं । 

आशय यह है कि वे अंधी रूढ़ियाँ सबसे खतरनाक होती हैं, जो जीवित मनुष्यों के दिलों पर प्रभावी हो जाती हैं । 

उन रूढ़ियों का महिमागान करने वाले लोग उल्लुओं और गीदडों की भाँति हुआँ - हुआँ करते हुए अज्ञानी लोगों के हृदयों पर सवार हो जाते हैं । 

वे उन्हें रूढ़ियों को तोड़कर बाहर नहीं निकलने देते ।

( काव्यांश 8 )

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है

जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए

और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा

आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।

प्रसंग :-

प्रस्तुत  पंक्तियों  में कवि ने  कहा की  अपनी अंतरात्मा को अनसुना करना सबसे खतरनाक है |

व्‍याख्‍या:-

कवि कहता है कि सबसे खतरनाक वह दिशा है , जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाता है , क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने अंदर की आवाज़ को नहीं सुनता । 

उसकी मुर्दा अर्थात् प्रतिक्रियाविहीन जैसी स्थिति सबसे खतरनाक होती है । उसकी सोच एवं विचारधारा मुर्दा धूप का टुकड़ा होती है, जो मनुष्य के शरीर पर काँटे की तरह चुभी रहती है । 

भाव यह है कि आत्मा के मर जाने पर उसकी मुर्दा छाप अर्थात् रूढ़ियों से ग्रस्त विचारधारा हमारे साथ चिपक कर हमारी पहचान बन जाए, तो यह स्थिति सबसे अधिक खतरनाक है ।

कवि कहता है कि किसी की मेहनत की कमाई लुट जाए, तो वह खतरनाक नहीं होती 

पुलिस की मार या गद्दारी आदि भी इतनी खतरनाक नहीं होती बल्कि सबसे खतरनाक स्थिति तो वह है, जब व्यक्ति के अंदर विषम परिस्थितियों में संघर्ष करने की क्षमता ही समाप्त हो जाए ।


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