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Class 12th Chapter-2 Political Science | दो ध्रुवीयता का अंत [The End of Bipolarity] Do Dhruvta ka Ant Notes in Hindi

Class 12th Chapter-2 Political Science | दो ध्रुवीयता का अंत [The End of Bipolarity] Do Dhruvta ka Ant Notes in Hindi


                  कक्षा 12वीं राजनीति शास्‍त्र

    अध्याय- 2

दो ध्रुवीयता का अंत   

[The End of Bipolarity]

 

बर्लिन की दीवार

  1. बर्लिन की दीवार 1961 में बनी थी
  2. यह दीवार पश्चिमी बर्लिन को पूर्वी बर्लिन से अलग करती थी ।
  3. यह दीवार पूँजीवादी विश्व और साम्यवादी विश्व के विभाजन का प्रतीक थी
  4. इस दीवार की लम्बाई 150 KM थी
  5. यह दीवार 28 वर्षों तक खड़ी रही
  6. 9 nov 1989 को तोड़ दी गई ( आम जनता द्वारा )

सोवियत प्रणाली

सोवियत प्रणाली से अभिप्राय समाजवाद एवं समतामूलक समाज के आदर्शों पर आधारित साम्यवादी शासन से है ।

 

सोवियत संघ का जन्म / व्यवस्था / प्रणाली

  • 1917 में रूस में समाजवादी क्रांति ( बोल्शेविक क्रान्ति) हुई थी ।
  • यह क्रांति पूँजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई,
  • यह क्रांति समाजवाद एवं समतामूलक समाज के आदर्शों पर आधारित थी
  • जिसके नायक ब्लादिमीर लेनिन थे ।
  • ब्लादिमीर लेनिन कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक थे
  • इस क्रांति के परिणामस्वरूप समाजवादी सोवियत गणराज्य
  • ( Union of Soviet Socialist Republics, USSR ) की स्थापना हुई

 

दूसरी दुनिया के देश

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी तर्ज पर ढाला गया ।

देशों के इस समूह को दूसरी दुनिया के देश अथवा समाजवादी गुट / खेमे (Socialist Blocs ) के देश कहा जाता है ।

इस खेमे का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था ।

 

सोवियत प्रणाली की विशेषता

  • सोवियत प्रणाली पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध तथा समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित थी ।
  • सोवियत प्रणाली में नियोजित अर्थव्यवस्था थी ।
  • कम्यूनिस्ट पार्टी का दबदबा था ।
  • विकसित अर्थव्यवस्था
  • उन्नत संचार प्रणाली ।
  • विशाल ऊर्जा संसाधन ( खनिज, तेल, लोहा, इस्पात )
  • दूर दराज के इलाके आवागमन की बेहतर व्यवस्था से जुड़े हुए थे
  • उन्नत उपभोक्ता उद्योग ( पिन से लेकर कार तक का निर्माण )
  • न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधा ।
  • बेरोजगारी न होना |
  • स्वास्थ्य सुविधा
  • शिक्षा
  • मिल्कियत का प्रमुख रूप राज्य का स्वामित्व उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण था


सोवियत संघ के विघटन के कारण

  • नागरिकों की राजनीतिक और आर्थिक आंकाक्षाओं को पूरा न कर पाना ।
  • सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा
  • कम्यूनिस्ट पार्टी का अंकुश |
  • संसाधनों का अधिकतम उपयोग परमाणु हथियारों पर ।
  • प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में पश्चिम के मुकाबले पीछे रहना ।
  • रूस की प्रमुखता
  • गोर्बाचेव द्वारा किए गए सुधारों का विरोध होना ।
  • अर्थव्यवस्था गतिरुद्ध व उपभोक्ता वस्तुओं की कमी |
  • राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उभार ।
  • सोवियत प्रणाली का सत्तावादी होना
  • पार्टी का जनता के प्रति जवाबदेह ना होना |

 

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम

  • शीतयुद्ध की समाप्ति
  • हथियारों की होड़ की समाप्ति
  • विचारधाराओं की लड़ाई का अंत
  • एक ध्रुवीय विश्व ( अमरीकी वर्चस्व )
  • सोवियत संघ का टूटना
  • नए देशों का उदय
  • रूस, सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बन गया
  • विश्व राजनीति में शक्ति संबंध परिवर्तित हो गए समाजवादी विचारधारा पर प्रश्नचिंह लगाया गया


शॉक थेरेपी

शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है आघात पहुँचाकर उपचार करना ।

साम्यवाद के पतन के बाद सोवियत संघ के गणराज्यों कोविश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित मॉडल अपनाना पड़ा

इस मॉडल के तहत साम्यवाद को छोड़कर, पूंजीवाद अपनाना था इसे ही शॉक थेरेपी कहते है ।

 

शॉक थेरेपी की विशेषताएँ :

  • मिल्कियत का प्रमुख रूप निजी स्वामित्व |
  • राज्य की संपदा का निजीकरण ।
  • सामूहिक फार्म की जगह निजी फार्म ।
  • मुक्त व्यापार व्यवस्था को अपनाना ।
  • मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता ।
  • पश्चिमी देशों की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव |
  • पूंजीवाद के अतिरिक्त किसी भी वैकल्पिक व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया गया ।

 

शॉक थेरेपी के परिणाम :

  • पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस नहस हो गई
  • रूस का औद्योगिक ढांचा चरमरा उठा
  • 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी कंपनियों को बेचा गया
  • महत्वपूर्ण उद्योगों को काफी कम कीमत ( औने-पौने दाम ) पर बेचा गया
  • इसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल कहा जाता है
  • रूसी मुद्रा रूबल में गिरावट
  • महंगाई बढ़ी
  • खाद्यान का आयात करना पड़ा
  • सरकारी रियायतें समाप्त कर दी गई
  • अमीर और गरीब लोगों में तीखा विभाजन

 

अमेरिकी वर्चस्व ( एकध्रुवीय विश्व )

1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व में अमेरिका का वर्चस्व खुल कर सामने आया

दूसरे शब्दों में, जब अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर एकमात्र महाशक्ति का प्रभुत्व होता है तो इसे ' एकध्रुवीय व्यवस्था ' कहा जाता है ।

यद्यपि अमेरिकी वर्चस्व के पहलुओं का इतिहास वर्ष 1991 तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे पूर्व वर्ष 1945 तक जाता है ।

 

प्रथम खाड़ी युद्ध

1990 में इराक ने कुवैत पर कब्ज़ा कर लिया

इसे समझाया गया पर यह कब्ज़ा हटाने को नहीं माना

फिर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बल प्रयोग की अनुमति दी

ये एक नाटकीय फैसला था

क्योकि पिछले 45 वर्षो में UNO ने इतना बड़ा फैसला नहीं लिया था

जोर्ज बुश ने इसे नयी विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी

इस युद्ध में 34 देशों के 6,60,000 सैनिको ने भाग लिया

अमेरिकी जनरल नार्मन शवार्जकांव इस सैन्य अभियान के प्रमुख थे

इसे Operation Desert Strom कहा गया

इस युद्ध में स्मार्ट बमों का प्रयोग किया गया

इसे सारी दुनिया में लाइव दिखाया गया

 

इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कहा कि यह

सौ जंगो की एक जंग" साबित होगी

इराक यह युद्ध हार गया था

इससे यह पता लगता है कि अमेरिका की सैन्य क्षमता कितनी मजबूत है

इस युद्ध का लाइव प्रसारण किया गया

अमेरिका ने इस युद्ध में मुनाफा कमाया

क्योंकि अमेरिका ने इस युद्ध में जितनी रकम खर्च की थी

उससे कहीं ज्यादा अमेरिका को जर्मनी, जापान और सऊदी अरब जैसे देशों से मिली

दूसरा खाड़ी युद्ध

 

ईराक पर अमेरिका का हमला

  • 19 मार्च 2003 को अमेरिका ने Operation Iraqi Freedom चलाया
  • संयुक्त राष्ट्र संघ ने हमले की अनुमति नहीं दी थी
  • लेकिन फिर भी अमेरिका ने हमला किया इस युद्ध में अमरीका के साथ 40 देश शामिल थे
  • अमेरिका ने कहा ईराक खतरनाक जनसंहार के हथियार बना रहा है जबकि ऐसे सबूत ईराक में नहीं मिले

 

हमले के उद्देश्य

तेल - भण्डार संसाधनों पर कब्ज़ा

ईराक में अपनी मनपसंद सरकार बनाना

 

ईराक पर हमले से अमेरिकी कमजोरी नजर आई ?

अमेरिका अधिक ताकतवर जरूर था लेकिन वह इराक में कानून व्यवस्था नहीं स्थापित कर पाया

इराकी जनता ने विरोध किया

अमेरिका युद्ध में जीत जरूर गया लेकिन वहां राजनीतिक व्यवस्था बनाने में असफल रहा


9/11 की घटना

  • 11 सितंबर 2001 के दिन विभिन्न अरब देशों के 19 अपहरणकर्ताओं ने उड़ान भरने के बाद चार अमेरिकी विमानों पर क जा कर लिया
  • अपहरणकर्ता इन विमानों को अमेरिका की महत्वपूर्ण इमारतों की सीध में उड़ा कर ले गए
  • दो विमान न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी और दक्षिणी टावर से टकराए
  • तीसरा विमान पेंटागन से टकराया
  • चौथा विमान अमेरिकी कांग्रेस के मुख्य इमारत से टकराना था
  • लेकिन वह पेंसिलवेनिया के खेत में गिर गया इस हमले को 9/11 कहा जाता है

जनसंख्या वितरण

पश्तून - 42%

ताजिक - 27%

हजारा - 8%

उज़्बेक 9%

 

भौगोलिक स्थिति

यहां भूमि उपजाऊ नहीं है

हिंदूकुष पहाड़ी इलाका

रेगिस्तानी इलाका

भूमि

चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ देश

 

अफगानिस्तान में बड़े बदलाव

1960 के दशक में राजा जाहिर शाह ने अफगानिस्तान में कुछ सुधार किए

जैसे-

महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान

चुनाव प्रक्रिया

जनता को राजनीतिक अधिकार

 

सन् 1973 में जाहिर शाह के परिवार से ही दाऊद खान ने इनका तख्तापलट करके सत्ता हथिया ली

वर्ष 1978 में वामपंथी दल 'पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अफगानिस्तान ' ने दाऊद खान को भी सत्ता से बेदखल कर दिया

वहा की कम्युनिस्ट पार्टी ने शासन चलाया

PDPA - Peoples Democratic Party Of Afghanistan

 

सोवियत संघ ने 1979-89 अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया

सोवियत संघ ने 24 दिसंबर 1979 में अपनी सेना को अफगानिस्तान में भेजा

मुस्लिम देशों ने इसका विरोध किया

अफगानिस्तान के लोगों ने इसका विरोध किया

संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसका विरोध किया

अमेरिका ने इसका विरोध किया

 

इतने विरोध होने के बावजूद भी सोवियत संघ नहीं माना

सोवियत संघ ने अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों को अपने कब्जे में ले लिया

सोवियत संघ VS जनता

सभी विद्रोही इकट्ठे हो गए इन्होंने इसे धार्मिक युद्ध कहा

इस जिहाद नाम भी दिया गया सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहिदीन कहलाए

सोवियत संघ के खिलाफ पाकिस्तान, अमेरिका, चीन, सऊदी अरब तथा अन्य मुस्लिम देश

1985 में सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव मिखाईल गोर्बाचेव बने

इन्होंने सोवियत संघ में सुधारों की नीति लागू की

इन्होंने यहां आर्थिक राजनीतिक सुधार की नीति चलाई

इन्होंने फैसला किया कि सोवियत संघ की सेना को बुलाया जाएगा

और सोवियत संघ दूसरे देशों में अपनी सेना बेवजह नहीं भेजेगा

1989 तक सेना वापिस बुला ली गयी

 

अरब क्रान्ति

21 वीं शताब्दी में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं तथा पश्चिम एशियाई देशों में लोकतांत्रिकरण के लिए नए विकास का उदय हुआ ।

इस प्रकार की एक परिघटना को अरब स्प्रिंग के रूप में जाना जाता है जिसका आरम्भ 2009/10 में हुआ ।

ट्यूनीशिया में प्रारम्भ हुए अरब स्प्रिंग ने अपनी जड़ें जमा लीं

जहाँ जनता द्वारा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी तथा निर्धनता के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ किया गया ।

यह संघर्ष एक राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया क्योंकि जनता तत्कालीन समस्याओं को निरंकुश तानाशाही का परिणाम मानती थी ।

ट्यूनीशिया में उदित लोकतन्त्र की मांग पश्चिम एशिया के मुस्लिम बहुल अरब देशों में फैल गई ।

होस्नी मुबारक, जो 1979 के पश्चात से मिस्र में सत्ता में थे, एक बड़े स्तर पर लोकतान्त्रिक विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप ध्वस्त हो गए ।

इसके अतिरिक्त अरब क्रान्ति का प्रभाव यमन, बहरीन, लीबिया तथा सीरिया जैसे अरब देशों में भी देखा गया

जहाँ जनता द्वारा इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन ने पूरे क्षेत्र में लोकतान्त्रिक जागृति को जन्म दिया ।

 

अरब स्प्रिंग के उद्देश्य

  • शासन व्यवस्था में सुधार
  • लोकतंत्र की स्थपना पर बल
  • शिक्षा, विकास, रोजगार
  • समानता

अरब स्प्रिंग के कारण

  • गरीबी
  • बेरोजगारी
  • भ्रष्टाचार
  • सोशल मीडिया का प्रभाव
  • सत्तावादी शासन का विरोध

 Watch On Youtube

 Part-1



Part-2



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