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कुँवर नारायण जी का कवि परिचय | Kunwar Narayan ka kavi Parichay in hindi | रचनाएं और भाव पक्ष कला पक्ष Class 12th Hindi

कुँवर नारायण जी का कवि परिचय | Kunwar Narayan ka kavi Parichay in hindi | रचनाएं और भाव पक्ष कला पक्ष

नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट anuragasaticlasses.com  पर आपका स्वागत है आज हम इस पोस्ट के माध्यम से Kunwar Narayan जी का कवि परिचय देखेंगे जिसमें हम चर्चा करेंगे इनकी रचनाएं , भाव पक्ष, कला पक्ष और साहित्य में स्थान । परीक्षा की दृष्टि से कुँवर नारायण जी का कवि परिचय  बहुत ही महत्वपूर्ण है। Kunwar Narayan जी का कवि परिचय बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है जो कि आपको एक बार में ही याद हो जाएगा। आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों में शेयर करें ताकि उनको भी इस पोस्ट के माध्यम से लाभ प्राप्त हो सके।

कुँवर नारायण जी का कवि परिचय | Kunwar Narayan ka kavi Parichay in hindi | रचनाएं और भाव पक्ष कला पक्ष

कक्षा 12वीं हिन्दी
                      

   कवि परिचय
  कुंवर नारायण 

रचनाएं    अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, कविता के बहाने, इन दिनों ।

भाव पक्ष

 कुँवर नारायण जैसे रचनाकार की कविताएँ अपने आप में सामाजिक मूल्यों की अमूल्य धरोहर है । कुँवर जी ने अपनी पूरी काव्य यात्रा में मानवीय सम्बन्धों को नई तरह से परिभाषित किया। नव सामाजिक मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा स्पष्ट झलकती है। कुँवर जी ने अपनी कविताओं में समय - समय पर सत्ता की राजनीति पर तीक्ष्ण प्रहार किये है। संवेदनशीलता और अहिंसा दृष्टि उनकी रचनाओं में गुथी हुई है और इसीलिए उनकी काव्य संवेदन फलीभूत भी हुई।


कला पक्ष

कुँवर नारायण ने अपनी कविताओं में विषय- विविधता के साथ-साथ अनेक भाषाओं का प्रयोग भी किया है। उनके काव्य की प्रमुख भाषा साहित्यिक खड़ी बोली है जिसमें अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, तत्सम और तद्‌भव शब्दावली का प्रयोग है। उनकी भाषा सीधी, सरल एवं चुटीली है। कुँवर नारायण की शैली विषयानुरूप है जो अत्यन्त संजीदा, गम्भीर, विचारात्मक एवं प्रतीकात्मक है। प्रतीकात्मकता इनकी शैली की विशिष्टता है। इनकी कविताओं में अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। प्रमुख रूप से अनुप्रास, यमक, उपमा, रूपक इत्यादि अलंकारों के प्रयोग से आपकी कविताएँ अत्यन्त प्रभावी बन पड़ी है। आपने अपने काव्य में मुख्य रूप से मुक्तक छंद का प्रयोग किया है।

साहित्य में स्थान

कुँवार नारायण की प्रतिष्ठा और आदर हिन्दी साहित्य जगत में सर्वमान्य है। कुँवर जी अपनी रचनाशीलता के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे।

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