मीराबाई जी का कवि परिचय | Mirabai ka kavi parichay in hindi | रचनाएं और भाव पक्ष कला पक्ष 11th Hindi
मीराबाई जी का कवि परिचय | Mirabai ka kavi parichay in hindi | रचनाएं और भाव पक्ष कला पक्ष
नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट anuragasaticlasses.com पर आपका स्वागत है आज हम इस पोस्ट के माध्यम से Mirabai जी का कवि परिचय देखेंगे जिसमें हम चर्चा करेंगे इनकी रचनाएं , भाव पक्ष, कला पक्ष और साहित्य में स्थान । परीक्षा की दृष्टि से मीराबाई जी का कवि परिचय बहुत ही महत्वपूर्ण है। Mirabai जी का कवि परिचय बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है जो कि आपको एक बार में ही याद हो जाएगा। आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों में शेयर करें ताकि उनको भी इस पोस्ट के माध्यम से लाभ प्राप्त हो सके।
कक्षा 11वीं हिन्दी
कवि
परिचय
मीराबाई
रचनाएं – 1) गीत
गोविन्द का टीका
2) राग गोविन्द
3) राग– सोरठ के पद
भाव पक्ष –
मीराबाई भगवान श्री कृष्ण के प्रेम दिवानी थी। उन्होने कृष्ण के प्रति अपना समर्पण भाव व्यक्त किया है। मीरा बाई ने अपने मन की बातो को सीधे शब्दों में अभिव्यक्त किया है। उनकी भाव दाम्पत्य भाव है। उन्होंने कृष्ण जी को अपने पति के रूप में स्वीकार किया। रहस्यवाद में कृष्ण के प्रति उत्सुकता एवं मिलन दिखाई पड़ता है मीराबाई का जीवन और उनका काव्य कृष्णमय है साथ ही उनके काव्य में माधुर्य भाव की प्रधानता है।
कला पक्ष –
मीराबाई की प्रमुख भाषा बृजभाषा है। पदों
की रचनाएँ बृजभाषा में ही किया गया है। इनके कुछ पदों में भोजपुरी भी दिखाई देती
है । इनके पदों में गेयता है इनकी शैली की प्रधान विशेषता है | इसमें अलंकार, रूपक, उत्प्रेक्षा,
अनुप्रास आदि है।
साहित्य में
स्थान–
मीराबाई भक्त कवयित्री थी |
मीराबाई विश्व में प्रेम दिवानी मानी जाती है | इनके साहित्य हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर है |
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