Anurag Asati Classes

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Class 12th Chapter- 4 Political Science | अंतरराष्ट्रीय संगठन | International Organizations | Antarrashtriya Sangathan Notes in Hindi

Class 12th Chapter- 4 Political Science | अंतरराष्ट्रीय संगठन  | International Organizations | Antarrashtriya Sangathan Notes in Hindi

Class 12th Chapter- 4 Political Science | अंतरराष्ट्रीय संगठन  | International Organizations | Antarrashtriya Sangathan Notes in Hindi

  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन का अर्थ
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन का महत्व 
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता

अंतर्राष्ट्रीय संगठन का अर्थ

अन्तरर्राष्ट्रीय संगठन ऐसी संस्थाएँ होती है

जो विश्व के विभिन्न देशों के लिए काम करते है,

विश्व के देशों की सहायता करती है

इसके सदस्य भी अधिक होते है

इनका कार्यक्षेत्र भी बड़ा स्तर पर होता है

अन्तरर्राष्ट्रीय संगठन का महत्व और आवश्यकता

विश्व में कुछ समस्याएं ऐसी होती है जिनका निपटारा कोई एक देश नहीं कर सकता है

ऐसे में हमें अन्तरर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता पड़ती है

विभिन्न देशों के बीच झगड़ो को सुलझाने के लिए

विश्व में शांति स्थापित करने के लिए

 विश्व में समझौते, संधियाँ करने के लिए


अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के उद्देश्य-

अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ो को रोकने में

झगड़ो को शांतिपूर्वक सुलझाने में

राष्ट्रों के बीच सहयोग की राह दिखाने में

शत्रुता के दायरे को कम करने के लिए

सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काम करना

विभिन्न देशों की मदद करना

अन्तर्राष्ट्रीय संधियाँ तथा समझौते करने में

लीग ऑफ़ नेशन ---- > संयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र संघ का विकास

पहले विश्वयुद्ध ने बहुत तबाही मचाई थी

उसके बाद सभी देशों ने ऐसा महसूस किया की इन झगड़ो को निपटने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन जरूर होना चाहिए

फिर लीग ऑफ़ नेशन बनाया

यह संगठन ज्यादा सफल नहीं हुआ और दूसरा विश्वयुद्ध हो गया

दूसरे विश्वयुद्ध में और ज्यादा तबाही का सामना करना पड़ा

जिससे ऐसा महसूस हुआ की लीग ऑफ़ नेशन को और मजबूत बनाने की जरूरत है

उसके बाद लीग ऑफ़ नेशन का उत्तराधिकारी संयुक्त राष्ट्र संघ बना

'लीग ऑव नेशंस' के उत्तराधिकारी के रूप में संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई।

दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के तुरंत बाद सन् 1945 में इसे स्थापित किया गया।

51 देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र पर दस्तखत करने के साथ इस संगठन की स्थापना हो गईं।

दो विश्वयुद्धों के बीच लीग ऑव नेशंस' जो नहीं कर पाया था

उसे कर दिखाने की कोशिश संयुक्त राष्ट्रसंघ ने की।

2011 तक संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य देशों की संख्या 193 थी।

इसमें लगभग सभी स्वतंत्र देश शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में प्रत्येक सदस्य को एक वोट हासिल है।

इसकी सुरक्षा परिषद् में पाँच स्थायी सदस्य हैं।

अमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ।

दूसरे विश्वयुद्ध के तुरंत बाद के समय में ये देश सबसे ज्यादा ताकतवर थे

संयुक्त राष्ट्र संघ

स्थापना - 24 OCT 1945

सदस्य- 193

प्रमुख अंग - 6

भारत सदस्य बना - 30 OCT 1945

संयुक्त राष्ट्र संघ लीग ऑफ़ नेशन का उत्तराधिकारी है

संयुक्त राष्ट्रसंघ का सबसे अधिक दिखने वाला सार्वजानिक चेहरा महासचिव होता है

संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरियस हैं

यह पुर्तगाल के प्रधानमंत्री रह चुकें है और संयुक्त राष्ट्रसंघ के नौवें महासचिव हैं

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग 

संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना

 

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग

सुरक्षा परिषद्

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय

महासभा

सचिवालय

आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्

न्यासिता परिषद् (समाप्त)


विश्व बैंक

स्थापना - 1944

मुख्यालय - वांशिंग्टन डी सी

उद्देश्य - विकासशील देशों को मदद करता है

  • लोन देना
  • शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण सुरक्षा, शहरी विकास
  • ज्यादा गरीब देशों से लोन वापिस नहीं लेता

शीतयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र सुधार

बदलते परिवेश में जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी संगठन में सुधार और विकास करना लाजिमी है। हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र सुधार में सुधार की माँग करते हुए आवाजें उठी हैं।

बहरहाल, सुधारों की प्रकृति के बारे में कोई स्पष्ट राय और सहमति नहीं बन पायी है

संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने दो तरह के बुनियादी सुधारों का मसला है।

संगठन की बनावट और इसकी प्रक्रियाओं में सुधार किया जाए। 

संगठन के न्यायाधिकार में आने वाले मुद्दों की समीक्षा की जाए।

लगभग सभी देश सहमत है । कि दोनों ही तरह के ये सुधार जरुरी हैं।

देशों के बीच में सहमति इस बात पर नहीं है कि इसके लिए दरअसल ठीक करना क्या है. | 

कैसे करना है और कब करना है?


संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना, प्रक्रिया और क्षेत्राधिकार में सुधार 

सुधार होने चाहिए इस सवाल पर व्यापक सहमति है लेकिन सुधार कैसे किया जाए का मसला कठिन है।

सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में एक प्रस्ताव स्वीकृत हुआ। प्रस्ताव में तीन मुख्य शिकायतों का जिक्र था

सुरक्षा परिषद् अब राजनीतिक वास्तविकताओं की नुमाइंदगी नहीं करती।

इसके फ़ैसलों पर पश्चिमी मूल्यों और हितों की छाप होती है और इन फ़ैसलों पर चंद देशों का दबदबा होता है।

सुरक्षा परिषद् में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के ढाँचे में बदलाव की इन बढ़ती हुई माँगों के मद्देनजर एक जनवरी 1997 को संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव कोफी अन्नान ने जाँच शुरू करवाई कि सुधार कैसे करवाएं जाएँ

इसके बाद के सालों में सुरक्षा परिषद् की स्थायी और अस्थायी सदस्यता के लिए मानदंड सुझाए गए। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं। सुझाव आए कि एक नए सदस्य को – 

• बड़ी आर्थिक ताकत होना चाहिए ।

• बड़ी सैन्य ताकत होना चाहिए ।

• संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में ऐसे देश का योगदान ज़्यादा हो।

• आबादी के लिहाज से बड़ा राष्ट्र हो ।

• ऐसा देश जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सम्मान करता हो।

• यह देश ऐसा हो कि अपने भूगोल, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के लिहाज से विश्व की विविधता की नुमाइंदगी करता हो ।


भारत और संयुक्त राष्ट्र सुधार

भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के ढाँचे में बदलाव के मामले को समर्थन दिया है।

भारत का मानना है कि बदले हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्रसंघ की मजबूती और दृढ़ता ज़रूरी है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में ज़्यादा बड़ी भूमिका निभा

भारत का विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के अजेंडे में विकास का मामला प्रमुख होना चाहिए

भारत की एक बड़ी चिंता सुरक्षा परिषद् को संरचना को लेकर है।

सुरक्षा परिषद् की सदस्य संख्या स्थिर रही है जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में सदस्यों की संख्या बढ़ी है।

भारत का मानना है कि इससे सुरक्षा परिषद् के प्रतिनिधित्वमूलक चरित्र की हानि हुई है।

भारत का तर्क है कि परिषद् का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधिमूलक होगी और उसे विश्व बिरादरी का ज्यादा समर्थन मिलेगा।

सुरक्षा परिषद् की स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए

भारत की एक बड़ी चिंता सुरक्षा परिषद् को संरचना को लेकर है।

सुरक्षा परिषद् की सदस्य संख्या स्थिर रही है जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में सदस्यों की संख्या बढ़ी है।

भारत का मानना है कि इससे सुरक्षा परिषद् के प्रतिनिधित्वमूलक चरित्र की हानि हुई है।

भारत का तर्क है कि परिषद् का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधिमूलक होगी और उसे विश्व बिरादरी का ज्यादा समर्थन मिलेगा।

सुरक्षा परिषद् की स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए

पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा परिषद् की गतिविधियों का दायरा बढ़ा है।

सुरक्षा परिषद् में विकासशील देश अधिक होने चाहिए

भारत खुद भी सुरक्षा परिषद् का स्थाई सदस्य बनना चाहता है

  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है
  • भारत की विशाल आबादी है
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की लगभग सभी पहलकदमियों में भाग लिया है।
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांति बहाल करने के प्रयासों में भारत लंबे समय से ठोस भूमिका निभाता आ रहा है।
  • भारत तेजी से अंतर्राष्ट्रीय फलक पर आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में नियमित रूप से अपना योगदान दिया है और यह कभी भी अपने भुगतान से चुका नहीं है।

अन्तरर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

मुख्यालय- वाशिंगटन डी सी

सदस्य -189 (लगभग)

उद्देश्य - अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना

व्यापार नीति

अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मात्रा में संतुलन लाना

वित्त व्यवस्था की देख रेख करना

विश्व व्यापार संगठन WTO

विश्व व्यापार संगठन की स्थापना - 1995 में हुई

यह GATT का उत्तराधिकारी है

GATT-GENRAL AGREEMENT OF TRADE AND TARRIF

उद्देश्य

  • व्यापार के नियम बनाना
  • व्यापार में मदद करना
  • मुक्त व्यापार को बढ़ाना

'अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन' (ILO)


'अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आई. एल. ओ.) संयुक्त राष्ट्र संघ का एक निकाय है

जिसकी स्थापना स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा मे अक्टूबर 1919 में की गई थी ।

इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय की कुशल स्थितियों को प्रोन्नत करना तथा अंतरर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के लिए कार्य करना है।

महिलाओं तथा पुरुष श्रमिकों को उत्पादक कार्य में संलग्न करने के लिए प्रोत्साहन तथा कार्य स्थल पर उनके लिए सुरक्षा, समता तथा स्वाभिमान की स्थिति बनाना भी इस संगठन के कार्य है।

अंतरष्ट्रीय आणविक ऊर्जा एजेंसी

अंतर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी- IAEA) इस संगठन की स्थापना 1957 में हुई।

यह परमाण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य करता है

यह परमाण्विक ऊर्जा के सैन्य उद्देश्यों में इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रयास करता है

इसके अधिकारी विश्व की परमाण्विक सुविधाओं की जाँच करते हैं ताकि नागरिक परमाणु संयंत्रों का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए न हो ।

एमनेस्टी इंटरनेशनल

एमनेस्टी इंटरनेशनल एक स्वयंसेवी संगठन है

यह मानव अधिकारों की रक्षा का कार्य करता है

एमनेस्टी इंटरनेशनल मानव अधिकारों से सम्बंधित रिपोर्ट छापता है

सरकारों का दुर्व्यवहार बताना

मानव अधिकारों की रक्षा करना, जागरूक करना

ह्युमन राइट वाच

यह अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है

मानवाधिकारों के लिए काम करता है

अमेरिका का सबसे बड़ा संगठन है

यह मीडिया का ध्यान मानव अधिकारों के उल्लंघन की और खींचता है

बारूदी सुरंगों पर टोक लगायी

बाल सैनिकों पर रोक

अन्तरर्राष्ट्रीय संगठनों का भविष्य

चाहे विश्व के देश कितने भी विकसित क्यों ना हो जाए

लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता हमेशा रहेगी

क्योंकि विश्व में कई मुद्दे और समस्याएँ ऐसी होती हैं

जिसे कोई एक देश संभाल नहीं सकता ऐसे में अंतरराष्ट्रीय संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

इस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय संगठन का भविष्य हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा

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